
इंदिरा गांधी (फाइल फोटो)
– फोटो : facebook
सत्ता परिवर्तन के बाद विपक्ष के कार्यों की जांच राजनीति का हिस्सा बन गई है। इमरजेंसी के दौरान हुई ज्यादतियों को लेकर लोगों में आक्रोश था। यही वजह थी कि 1977 में हुए चुनाव में कांग्रेस को पराजय का मुंह देखना पड़ा। पहली बार बनी गैर कांग्रेसी सरकार ने पूर्व की सरकार के कार्यों की जांच शुरू कर दी।
पूर्व पीएम इंदिरा गांधी पर सरकारी धन के दुरुपयोग का आरोप लगा था। इंदिरा गांधी पर तानाशाही तरीके से काम करने के आरोप लगे। उन पर चुनाव के दौरान भ्रष्ट तरीके अपनाने और सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग के भी आरोप थे।
अमर उजाला के 27 अक्तूबर, 1977 के अंक में प्रकाशित समाचार के अनुसार उत्तर प्रदेश की जनता पार्टी सरकार ने चुनाव में सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग को लेकर नीलामी का नोटिस भेजा। उस समय वित्त मंत्री मधकुर दिघे थे।
नोटिस में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी पर चुनाव के दौरान सरकारी संसाधनों के दुरुपयोग का आरोप लगाया था। उनके दौरों पर शासन ने 5.28 लाख रुपये खर्च किए थे। जनता पार्टी सरकार ने उत्तर प्रदेश कांग्रेस को भेजे नोटिस में कहा कि वह इस राशि को तुरंत अदा करें। अगर उत्तर प्रदेश कांग्रेस ऐसा नहीं करती है तो उसकी संपत्ति नीलाम कर दी जाएगी।