
भाजपा ज्वान कर सकते हैं मनोज पांडेय।
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ऊंचाहार विधानसभा क्षेत्र से सपा विधायक डॉ. मनोज कुमार पांडेय के मंगलवार को विधानमंडल के मुख्य सचेतक पद से त्यागपत्र देने के बाद जिले की राजनीतिक सरगर्मी एकबारगी बढ़ गई। मनोज के इस फैसले के बाद गांधी परिवार के गढ़ की न सिर्फ सियासत बदलेगी, बल्कि आने वाले समय में नए समीकरण भी बनेंगे। मनोज की छवि कद्दावर ब्राह्मण नेता की है। यही वजह है कि वह सपा में भी पूरे प्रभाव के साथ डटे रहे। ऐसे में वह जिस दल में शामिल होंगे, उसे आगामी लोकसभा चुनाव में भरपूर फायदा मिलेगा।
लोकसभा चुनाव की आदर्श आचार संहिता लागू से होने से पहले ही रायबरेली में राजनीतिक रंग चढ़ने लगा है। वैसे तो प्रदेश में 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान ही सियासी गलियों में इस बात की चर्चा थी कि मनोज कुमार पांडेय कोई नया राजनीतिक फैसला लेने वाले हैं, लेकिन उस समय यह कयास उल्टा पड़ा। मनोज ने सपा से ही विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल करते हुए हैट्रिक भी लगाई। सपा ने मनोज का ओहदा ऊंचा करते हुए उन्हें विधानमंडल का मुख्य सचेतक नियुक्त किया था। लोकसभा चुनाव से पहले ही मनोज ने सपा को झटका देते हुए मुख्य सचेतक पद से इस्तीफा देकर राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग भी की।
इस्तीफे के बाद मनोज के भाजपा में जाने की अटकल लगाई जा रही है। मनोज चाहे जिस दल में जाएं, लेकिन इसका फर्क रायबरेली की सियासत में पड़ना तय है। वजह जिले में ब्राह्मण वोटरों की अच्छी संख्या। ऊंचाहार, सरेनी, सदर विधानसभा क्षेत्र में ब्राह्मण वोटर निर्याणक भूमिका में हैं। मनोज की ब्राह्मण ही नहीं, बल्कि अन्य समाज के वोटरों में भी पैठ मानी जाती है। यही वजह रही कि वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने पूरी ताकत झोंकी थी, लेकिन वह चुनाव जीतने में कामयाब रहे।
भाजपा के लिए तुरुप का पत्ता होंगे मनोज
अमेठी का किला फतह करने के बाद इस बार रायबरेली की बारी है। यह जुमला पिछले पांच साल से भाजपा नेताओं की जुबां पर है। रायबरेली की सीट जीतना भाजपा का 2014 से मिशन रहा, लेकिन पार्टी इसमें कामयाब नहीं हो पाई। वर्ष 2019 में अमेठी से राहुल गांधी की हार के बाद भाजपाइयों के हौसले बुलंद हैं। उन्हें लगता है कि 2024 में रायबरेली संसदीय क्षेत्र में भगवा लहराएगा। यही वजह रही कि मनोज पांडेय को साधने में भाजपा लगातार जुटी रही।
कांग्रेस-भाजपा नहीं तय कर पा रहे दावेदार
सांसद सोनिया गांंधी के राजस्थान से राज्यसभा जाने के बाद रायबरेली सीट से गांधी परिवार के चुनाव लड़ने पर संशय बरकरार है। भले ही कांग्रेस हाईकमान हो या फिर जिले के पदाधिकारी, खुलकर कोई बात नहीं कर पा रहा। आगामी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार पर सभी मौन साधे हैं। कुछ यही हालत भाजपा की भी है। वैसे तो कई नेता चुनाव लड़ने का दावा कर रहे हैं, लेकिन भाजपा को ऐसा उम्मीदवार चाहिए जो अमेठी की तरह रायबरेली में भी परचम लहरा सके। वर्ष 2019 में भाजपा ने मौजूदा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दिनेश प्रताप सिंह को मैदान में उतारा था, लेकिन वह जीत हासिल नहीं कर पाए। इस बार किसी कद्दावर नेता की भाजपा को तलाश है। मनोज के रूप में पार्टी की यह तलाश भी पूरी हो सकती है।