Loksabha Elections 2024 BSP limited to cadre votes, It is not easy for BSP to repeat its previous performance

Loksabha Elections
– फोटो : अमर उजाला

बीते दो दशक के दौरान अर्श से फर्श तक पहुंचने वाली बसपा अब केवल अपने कोर वोट बैंक तक सिमट चुकी है। राजनीति के शुरुआती दौर में पार्टी का आमजन से जुड़ाव काफी बेहतर रहा है, लेकिन सत्ता में आने के बाद पार्टी का आम लोगों से जुडा़व खत्म हो गया। यही नहीं कार्यकर्ताओं से भी बसपा पदाधिकारियों का संवाद लगभग ठप हो गया। 

इससे  कार्यकर्ता निराश अैर वोटर अलग होता जा रहा है। प्रदेश में करीब 22 फीसदी दलित और मुस्लिम 20 प्रतिशत वोटर हैं। दलित वोट बैंक का 55 फीसदी जाटव माने जाते हैं, जिसे बसपा अपना कोर वोट बैंक मानती है। 

बसपा की सोशल इंजीनियरिंग के फॉर्मूले में दलित, मुस्लिम और ब्राह्मण वोट बैंक की बड़ी हिस्सेदारी सफलता दिला चुकी है। बीते कुछ चुनावों से लगातार पार्टी का ग्राफ गिरता रहा है। 2004 के चुनाव में पार्टी को 24.67 प्रतिशत वोट मिले थे और उसने 19 लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी। 

वर्ष 2009 के लोस चुनाव में पार्टी को करीब 27.42 फीसदी वोट मिले थे और उसके 20 सांसद बने थे। यह बसपा का सबसे अच्छा प्रदर्शन था। 2014 के चुनाव में बसपा को 19.77 फीसदी वोट ही मिले और उसका कोई भी प्रत्याशी संसद तक नहीं पहुंच सका। 



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