Loksabha Elections 2024 First Election was fought on basis of caste in independent india

सांकेतिक तस्वीर।
– फोटो : अमर उजाला

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देश का विभाजन 1947 में भले ही धर्म के आधार पर हुआ था लेकिन स्वतंत्र भारत में  पहला चुनाव जाति के आधार पर लड़ा गया। 1951-52 में हुए आजाद भारत के पहले चुनाव में जातिवाद का खूब इस्तेमाल हुआ। चुनाव में प्रत्याशियों ने जाति के नाम पर खुलेआम वोट मांगे।

उस समय लोग जाति के नाम पर विभाजित भी थे। यही कारण था कि उस वक्त चुनाव में जाति के नाम पर खुलेआम वोट मांगने में नेताओं को दिक्कत नहीं थी। हांलाकि 25 जनवरी, 1950 को भारत में निर्वाचन आयोग आस्तित्व में आ गया था लेकिन राजनीतिक दलों पर इसका नियंत्रण बहुत ज्यादा नहीं था। 

इससे पहले हालांकि महात्मा गांधी ने हिंदू धर्म में ऊंच-नीच का भेद मिटाने की पूरी कोशिश की थी। जाति का भेदभाव मिटाने के लिए उन्होंने दलितों के साथ भोजन भी किया था। डॉ भीमराव आंबेडकर भी दलितों के उत्थान में लगे हुए थे लेकिन पहले आम चुनाव में उत्तर प्रदेश में खासतौर से ग्रामीण इलाकों में दलितों के खिलाफ जहरीला प्रचार किया गया। 

अमर उजाला में इस तरह की खबर 14 अक्तूबर, 1951 को पेज चार पर लखनऊ से छपी, आम चुनाव जीतने के लिए यूपी में गंदा प्रचार शुरू। खबर के अनुसार, उत्तर प्रदेश में जिला बोर्ड और गांव पंचायत चुनाव में भी जातिवाद का खूब इस्तेमाल हुआ था, ऐसा ही हथकंडा अब विपक्षी दल इस चुनाव में भी अपनाना चाहते हैं। चुनाव को जातिवाद ने इतना जहरीला बना दिया था कि राजनीतिक हत्याओं की आशंका पैदा हो गई थी। इसका उल्लेख भी खबर में किया गया है।



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