Lucknow bench of High court rajects the petition of Gyatri Prasad Prajapati.

पूर्व कैबिनेट मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति
– फोटो : amar ujala

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धनशोधन के जरिये करोड़ों की बेनामी संपत्तियां अर्जित करने के आरोप में प्रदेश के पूर्व खनन मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति को हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ से राहत नहीं मिली। कोर्ट ने प्रजापति को आरोपों से मुक्त करने की अर्जी खारिज करने व उनके खिलाफ आरोप तय करने के ट्रायल कोर्ट के आदेशों को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी। प्रजापति ने याचिका में ट्रायल कोर्ट के इन आदेशों को चुनौती दी थी। न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की एकल पीठ ने यह आदेश दिया।

गायत्री ने धन शोधन निवारण अधिनियम की विशेष सत्र अदालत के 22 दिसंबर 2022 के आदेश समेत आरोप विरचित करने के आदेश को चुनौती दी थी। याची की ओर से दलील दी गई कि उसके खिलाफ केस नहीं बनता है। ऐसे में उसे आरोपमुक्त किया जाना चाहिए था। उधर, अभियोजन की ओर से याचिका का विरोध कर कहा गया कि सतर्कता अधिष्ठान ने प्रजापति के खिलाफ केस दर्ज करवाकर जांच की। 

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इसमें पता चला कि तत्कालीन खनन मंत्री रहते लोकसेवक के रुप में प्रजापति ने आय के ज्ञात स्रोतों से 49.93 लाख रुपए अर्जित किए। लेकिन उन्होंने इस अवधि में 3.48 करोड़ की संपत्ति व रखरखाव पर खर्च किया। इस तरह उन्होंने 2.98 करोड़ अपनी आय से अधिक खर्च किए। इसका वह कोई संतुष्टि लायक जवाब नहीं दे सके। जांच में बेनामी संपत्तियां अर्जित करने के भी साक्ष्य मिले। 14 जनवरी 2022 को प्रवर्तन निदेशालय ने भी प्रजापति के खिलाफ अवैध आमदनी अर्जित करने का केस दर्ज कराया।

कोर्ट ने सुनवाई के बाद आदेश में कहा कि पहली नजर में याची के खिलाफ धनशोधन निवारण कानून के तहत केस बनता है। ऐसे में ट्रायल कोर्ट के डिस्चार्ज अर्जी खारिज करने व याची के खिलाफ आरोप तय करने के आदेशों में कोई अवैधानिकता नहीं है। इस टिप्पणी के साथ कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया।



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