
सांकेतिक तस्वीर…
– फोटो : अमर उजाला
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प्रदेश में बुखार, खांसी और सीने की जकड़न से जुड़ी 14 दवाओं की ब्रिकी और खरीद पर रोक लगा दी गई है। विभिन्न मेडिकल स्टोर पर रखी दवाओं को निर्माता कंपनी को वापस करने का निर्देश दिया गया है। यह फैसला स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के नोटिफिकेशन के बाद लिया गया है।
दवा बनाने वाली कंपनियां कई दवाओं को मिलाकर एक दवा तैयार करती हैं। इन दवाओं को सेहत के लिए नुकसानदेह बताया गया। इस मामले में दवा निर्माता कंपनियां कोर्ट में गई। कोर्ट के आदेश पर केंद्र सरकार ने विशेषज्ञ समिति का गठन किया। विशेषज्ञ समिति ने सिफारिश की कि फिक्स डोज कंबिनेशन (एफडीसी) का कोई थेरोपेटिक औचित्य नहीं है। यह इंसान के लिए जोखिम भरी हो सकती है।
जनहित में औषधि एवं सौंदर्य प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1940 के तहत इसके निर्माण एवं बिक्री पर रोक लगाई जाए। इस पर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने दो जून को 14 दवाओं के निर्माण, बिक्री एवं रखरखाव पर रोक लगाने के संबंध में नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। इस नोटिफिकेशन के आधार पर उत्तर प्रदेश में खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग (एफएसडीए)ने भी इनके निर्माण, बिक्री और खरीद पर रोक लगा दी है।
एफएसडीए ने सभी दवा कारोबारियों को पत्र जारी कर प्रतिबंधित दवाओं का विवरण मांगा है। यह भी निर्देश दिया है कि ये दवाएं संबंधित कंपनी को लौटा दी जाएं। किसी भी स्टोर में संबंधित दवाएं रखी हुई मिलीं तो संबंधित फर्म के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। प्रतिबंधित की गई सभी दवाएं तेज बुखार, खांसी, सीने में जकड़न और एंटीबायोटिक्स हैं।
इन दवाओं पर प्रतिबंध
- निमेसुलाइड व पैरासिटामॉल डिसपर्सिबल गोलियां
- एमॉक्सीलिन ब्राम्हेक्सिन
- फोल्कोडाइन प्रोमेथेजीन
- क्लोरेफेनिरेमाइन मेलिएट ड्राक्टो मेथोरफेन गुयाफेनेसिन अमेनियम क्लोराइड मेंथोल
- अमोनियम क्लोराइड ब्रोमहेक्सीन डीक्ट्रोमेंथोरफेन
- क्लोरफेनिरफाइन मेलिएट कोडीन सीरप
- ब्रोमहेक्सीन डीक्ट्रोमेथोरिफेन अमोनियम क्लोराइड मेंथोल
- डिक्ट्रोमेथोरफेन क्लोरोफेनिरामाइन गुयाफेनेसिन अमोनियम क्लोराइड
- पैरासिटामॉल ब्रोमहेक्सीन फेनइलफराइन क्लोरोफेनिरामाइन गुयाफेनेसिन
- सेलबुटामोल ब्रमहेक्सीन
- क्लोरोफेनिरामाइन कोडीन फास्फेट मेंथाल सिरप
- फिनटोएन फिनोबाबटोन सोडियम
- अमोनियम क्लोराइड सोडियम सिट्रेट क्लोरफेनिरामाइन मेलेट मेंथाल
- सल्बुटामोल हाइट्राक्सीथाइल थियोफाइलाइन ब्रमहेक्सीन
क्या कहते हैं जानकार
उत्तर प्रदेश फार्मेसी काउंसिल के पूर्व चेयरमैन एवं चीफ फार्मेसिस्ट सुनील कुमार यादव कहते हैं कि इन दवाओं पर रोक के लिए लगातार मांग की जा रही थी। ये लिवर, किडनी के लिए नुकसानदेह होती हैं। यदि मरीज को किसी दवा से एलर्जी है और कंबिनेशन वाली दवा दी गई तो स्पष्ट नहीं हो पाता कि उसे किससे एलर्जी हो रही है। यही वजह है कि विभिन्न देशों में कंबिनेशन की बिक्री पर रोक है। इसी तरह कंबिनेशन वाली दवाएं मरीज के वजन के अनुसार दी जाती है। यहां सीधे हर व्यक्ति को कंबिनेशन वाली दवाएं थमा दी जाती है, जो उनके सेहत के लिए नुकसानदेह साबित होती है। इन दवाओं पर रोक लगना हितकर है।