
फाइल फोटो
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
अपना दल (एस) के संस्थापक सोनेलाल पटेल की 74वीं जयंती के समारोह से प्रदेश में लोकसभा चुनाव के गठबंधन की हल्की तस्वीर साफ हो गई है। लेकिन प्रदेश की सियासत में तटस्थ नजर आ रहे रालोद, कांग्रेस, जनसत्तादल लोकतांत्रिक, बसपा और एआईएमआईएम का रुख साफ नहीं होने से राजनीतिक विश्लेषकों की निगाहें इन दलों की आगामी रणनीति पर टिक गई है।
अपना दल (एस) की ओर से इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित जन स्वाभिमान दिवस के कार्यक्रम में एनडीए के घटक दल भाजपा, निषाद पार्टी, आरपीआई के नेता मौजूद रहे। वहीं लोजपा के चिराग पासवान की ओर से संदेश भेजा गया। सुभासपा के भी एनडीए में शामिल होने का रास्ता करीब करीब साफ होता जा रहा है। उधर, सपा मुख्यालय में आयोजित कार्यक्रम में सपा और अपना दल कमेरावादी साथ रहे। लेकिन सपा के साथ गठबंधन में सहयोगी रालोद के नेता इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए।
प्रदेश में भाजपा और मुख्य विपक्षी दल सपा सहित अन्य दलों ने भी लोकसभा चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी है। लेकिन विपक्ष में खड़े कांग्रेस, बसपा, एआईएमआईएम और जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के नेता लोकसभा चुनाव में अकेले लड़ेंगे या गठबंधन के साथ, यह अभी स्पष्ट नहीं हैं। राजनीतिक पंडितों के बीच चर्चा है कि बसपा का गठबंधन कांग्रेस या एआईएमआईएम से हो सकता है। यदि ऐसा हुआ तो लोकसभा चुनाव में प्रदेश में तीन बड़े गठबंधनों के बीच त्रिकोणीय मुकाबला होगा। बसपा और एआईएमआईएम का गठबंधन हुआ तो इसके असर का अनुमान लगाया जा रहा है। वहीं यदि कांग्रेस और बसपा के गठबंधन की तस्वीर बनी तो इसके नफा-नुकसान के समीकरण पर भी चर्चा जोरों पर है।