नशीले कफ सिरप सिंडिकेट की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय को मुख्य आरोपियों में शामिल शुभम जायसवाल के करीबी परिजन की फर्म से 2 करोड़ रुपये की रकम अयोध्या की कंस्ट्रक्शन कंपनी को ट्रांसफर करने के सुराग मिले हैं। अधिकारियों को शक है कि इस रकम से लैंड क्रूजर गाड़ी खरीदकर पूर्वांचल के माफिया रिश्तेदार को बतौर गिफ्ट दिया गया। इस अहम खुलासे के बाद ईडी वाराणसी की फर्म और अयोध्या की कंपनी के बीच मनी ट्रेल के सुराग तलाश रही है। 

सूत्रों की मानें तो जौनपुर में टोयोटा कंपनी से मिली जानकारी के बाद अयोध्या की कंपनी के बारे में गहनता से पड़ताल करने पर कई संदिग्ध लेन-देन सामने आए हैं। कंपनी संचालक द्वारा जिस खाते से रकम गाड़ी खरीदने को ट्रांसफर की गई, उसमें पूर्व में ज्यादा लेन-देन नहीं पाया गया है। महज तीन साल पहले बनी कंपनी को इतनी बड़ी रकम देने और बाद में उससे गाड़ी खरीदने के प्रमाण मिलने से माफिया भी जांच का दायरे में आ रहा है। ईडी के अधिकारी यह पता लगाने का प्रयास भी कर रहे हैं कि कंपनी का शुभम के करीबी परिजन की फर्म से किस तरह के कारोबारी रिश्ते थे, जिसकी वजह से उसे यह रकम मिली। फिलहाल ईडी की जांच जिस दिशा में आगे बढ़ रही है, उससे साफ हो रहा है कि नशीले कफ सिरप की तस्करी का सिंडिकेट चलाने वालों को माफिया का संरक्षण मिला था।

1777 सिरीज भी जांच के दायरे में

वहीं दूसरी ओर 9777 और 1111 सिरीज वाले नंबरों की लग्जरी गाड़ियों के साथ अब 1777 सिरीज की गाड़ियां भी जांच एजेंसी के निशाने पर हैं। इस सिरीज वाले नंबर की लग्जरी गाड़ियों का इस्तेमाल माफिया के रिश्तेदार द्वारा किया जा रहा है, जो कंपनी संचालक का भाई है और विधानसभा का चुनाव लड़ने की तैयारी में जुटा है। ईडी दोनों भाईयों का पूरा बैकग्राउंड खंगाल रहे हैं। अब तक की जांच में सामने आया है कि कुछ साल पहले तक दोनों मोटरसाइकिल से चलते थे, अचानक उनके पास अकूत दौलत आ गई। इनमें से एक भाई बिजली विभाग में ठेकेदारी करता है। उसके द्वारा बीते एक साल में की गई तमाम विदेश यात्राएं भी जांच के दायरे में हैं।



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