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प्रदेश में ई-स्टांप व्यवस्था लागू होने से 5,783 करोड़ रुपये के भौतिक स्टांप बेमतलब हो गए हैं। इनकी बिक्री बंद होने से इनके नष्ट होने की आशंका बढ़ गई है। खास बात ये है कि इन भौतिक स्टांप की छपाई व परिवहन पर करीब 6.53 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। यह रकम भी बट्टे खाते में जाने की नौबत है।

सूत्रों ने बताया प्रदेश के कोषागारों में 5,999 करोड़ रुपये के भौतिक स्टांप उपलब्ध हैं। इनमें 5000 रुपये तक के मूल्य वर्गों के स्टांप की बिक्री स्टांप वेंडर के माध्यम से की जा रही है। 5000 रुपये से अधिक मूल्य वर्ग के भौतिक स्टांप की बिक्री ई स्टांपिंग प्रणाली लागू होने के बाद से नहीं की जा रही है।

5000 रुपये से अधिक मूल्य वर्ग के भौतिक स्टांप का कुल मूल्य 5,783 करोड़ रुपये है। कोषागार से जुड़े अधिकारी बताते हैं कि भौतिक स्टांपों का निस्तारण जल्द नहीं कराया गया तो उनके नष्ट होने की आशंका बनी रहेगी। शासन के समक्ष यह विषय पिछले वर्ष से उठाया जा रहा है लेकिन अभी तक कोई निर्णय नहीं हो सका है।

कोषागार अधिकारियों की चिंता है कि यदि भौतिक स्टांप नष्ट हुए या उनका किसी तरह का दुरुपयोग हुआ तो उनकी जिम्मेदारी तय की जाएगी। ऐसे में या तो इसे नष्ट किया जाना चाहिए या इसके खत्म होने तक बिक्री की अनुमति दी जानी चाहिए।

ये सुझाव भी..

  • स्टांप रजिस्ट्रेशन विभाग यह बताएं कि किन जिलों में विकास प्राधिकरण व औद्योगिक विकास प्राधिकरण में स्टांप की अधिक बिक्री हो रही है।
  • विकास प्राधिकरणों और औद्योगिक विकास प्राधिकरणों में ई-स्टांप बिक्री पर रोक लगा दी जाए।
  • निदेशक कोषागार 5000 रुपये से अधिक मूल्य के भौतिक स्टांप को संबंधित जिलों के कोषागारों के बीच फिर से वितरित कराएं। जब तक भौतिक स्टांप का स्टॉक समाप्त नहीं हो जाता है, तब तक सिर्फ भौतिक स्टांप की बिक्री की जाए।
  • विकास प्राधिकरण व औद्योगिक विकास प्राधिकरण सबसे पहले कोषागार में उपलब्ध 5000 रुपये से अधिक मूल्य के स्टांप का उपयोग करें। भौतिक स्टांप का स्टॉक समाप्त होने पर ई स्टांप व्यवस्था फिर से लागू की जाए।
  • इससे भौतिक स्टांप का उपयोग भी हो जाएगा और इसकी छपाई और परिवहन में खर्च रकम की चपत भी नहीं लगेगी।

कैबिनेट ही कर सकती है निर्णय

स्टांप विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि भौतिक स्टांप की जगह ई-स्टांप की बिक्री सरकार का नीतिगत निर्णय है। ऐसे में ई स्टांप की बिक्री कुछ समय के लिए रोक कर भौतिक स्टांप की बिक्री की अनुमति देने का निर्णय भी कैबिनेट ही कर सकती है। अधिकारी ने बताया कि निष्प्रयोज्य पड़े स्टांप का क्या किया जाए, यह भी कैबिनेट ही तय कर सकती है। ऐसे में इस प्रकरण को कैबिनेट के संज्ञान में लाकर जल्द से जल्द निर्णय कराया जाना चाहिए।



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