
लखनऊ में ऑटो चालकों की मनमानी।
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चारबाग रेलवे स्टेशन परिसर और उसके बाहर ऑटो चालकों की मनमानी डराने वाली है। यहां महिलाओं की सुरक्षा ताक पर है। रात में यहां से ऑटो, ओला और उबर की सेवाएं लेना खतरे से भरा है। अकेली महिला सवारी के लिए तो और भी खतरनाक। पुलिस की सक्रियता न के बराबर है। पुलिस है भी तो ऑटो चालकों की मनमानी पर आंखें मूदे हैं। राजधानी के मुख्य रेलवे रेलवे स्टेशन के बाहर की आंखों देखी रिपोर्ट सुरक्षा इंतजामों की पोल खोलने और हकीकत बताने के लिए पर्याप्त है।
दिन शुक्रवार। समय रात के 12 बजे। स्थान चारबाग रेलवे स्टेशन परिसर। ऑटो और ई-रिक्शों का जमावड़ा लगा है। उबर और ओला लिखी कारें भी तेजी से इधर-उधर चक्कर लगा रही हैं। इसी बीच प्लेटफॉर्म नंबर एक से यात्री संगीता, रुचि व नेहा (काल्पनिक) पांच साल के बच्चे के साथ बाहर निकलती हैं। ऑटो चालकों की नजर उन महिला सवारियों पर पड़ती है। मैडम-मैडम, कहां जाएंगी, कहां जाएंगी… दोहराते, तिहराते हुए एक झुंड उन्हें चारों तरफ से घेर लेता है। महिलाएं सहम सी जाती हैं। वे समझ नहीं पातीं कि ऑटो वालों को पास आने से रोकने के लिए क्या करें? डरकर तेज कदमों से स्टेशन की ओर चलने लगती हैं। ऑटो चालक अभी भी नहीं थमते। वे किराये की बोली लगाना शुरू कर देते हैं। 300, 250, 200 रुपये…। पर किसी तरह बैठा लेना चाहते हैं। महिलाएं उनकी नीयत भांपकर ओला और उबर बुक करने का प्रयास करती हैं।
उबर चालक बोला- बुकिंग की जरूरत नहीं, आइए छोड़ देते हैं
हैरत की बात तब लगी जब उबर चालक ने महिलाओं से कहा, आइए मैडम, हम छोड़ देते हैं। ऑनलाइन बुकिंग की कोई जरूरत नहीं। इसी बीच एक महिला ने ओला बुक कर लिया, लेकिन वाहन चालक ने पास आने के बाद कैंसिल करने की बात कही और कम किराये में ले जाने का ऑफर दिया। बुकिंग पर न ले जाने पर कुछ देर बाद महिलाएं मुख्य सड़क की तरफ बढ़ीं।