प्रदेश में कम नामांकन वाले परिषदीय विद्यालयों के विलय (पेयरिंग) के बाद खाली हुए 5,118 स्कूलों में शुक्रवार से बालवाटिका की विधिवत शुरुआत होगी। झंडारोहण के साथ ही स्थानीय जनप्रतिनिधि, अभिभावक व अधिकारी इसकी शुरुआत करेंगे। यहां पर कक्षा एक में प्रवेश लेने से बच्चों को मानसिक रूप से तैयार व मजबूत किया जाएगा।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत प्रदेश के सरकारी स्कूलों में बालवाटिका अब बच्चों के लिए सीखने और खेलने का रंगीन संसार बनेगी। 3 से 6 साल के बच्चों की ‘स्कूल रेडिनेस’ को सशक्त बनाने के लिए बेसिक शिक्षा विभाग प्रदेश भर में 5,118 विद्यालयों में यह शुरुआत कर रहा है। इसमें महिला व बाल विकास विभाग (आईसीडीएस) के सहयोग से पास के आंगनबाड़ी केंद्रों को इन विद्यालयों में स्थानांतरित किया गया है।
इन्हें आधुनिक सुविधाओं से युक्त किया गया है। महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा ने कहा कि 3 से 6 साल की आयु बच्चों के मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। स्कूल रेडिनेस के इस चरण के पूरी होने पर बच्चा कक्षा-1 में प्रवेश के समय शिक्षा ग्रहण करने के लिए पूरी तरह तैयार हो जाता है। पोषण, सुरक्षित वातावरण और आनंददायक अधिगम हमारी प्राथमिकता है। एनईपी में प्री-प्राइमरी शिक्षा व बालवाटिका को विशेष महत्व दिया गया है, जिसके अनुरूप यह पहल की जा रही है।
ये सुविधाएं मिलेंगी
इन बालवाटिकाओं में बच्चों के लिए बाल मैत्री फर्नीचर, आउटडोर खेल सामग्री, रंग-बिरंगे कक्षा-कक्ष, लर्निंग कॉर्नर जैसी व्यवस्थाएं की गई हैं। साथ ही, अभ्यास पुस्तिका, गतिविधि-आधारित शिक्षण के लिए वंडर बॉक्स, शिक्षण-सामग्री और स्टेशनरी भी उपलब्ध कराई गई है। चरणबद्ध तरीके से ईसीसीई एजुकेटर्स की तैनाती भी की जा रही है। इससे पहले इन विद्यालय परिसर की साफ-सफाई, रंगाई-पुताई और आकर्षक सजावट की गई। जो बच्चों को आकर्षित करेंगी।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अनुरूप बालवाटिकाओं के माध्यम से हम बच्चों के भविष्य की मजबूत नींव रख रहे हैं। पोषण, सुरक्षित वातावरण और आनंददायक अधिगम हमारी प्राथमिकता है, ताकि हर बच्चा कक्षा-1 में प्रवेश से पहले मानसिक रूप से पूरी तरह तैयार हो सके।
-संदीप सिंह, बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार)