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संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) की डॉ. रुचिका टंडन से हुई ठगी के मामले में गिरफ्तार सॉफ्टवेयर इंजीनियर भिखारियों के नाम पर खोले गए बैंक खातों का इस्तेमाल करते थे। ऐसे सैकड़ों खातों में करोड़ों की रकम इधर से उधर की। ये खुलासा पुलिस की जांच में हुआ है।
डॉ. रुचिका को डिजिटल अरेस्ट कर ठगों ने 2.81 करोड़ रुपये पार किए थे। एसटीएफ और साइबर क्राइम थाने की पुलिस अब तक 18 आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है। इसमें बुधवार को गिरफ्तार किए गए सहारनपुर के रॉबिन कुमार और संभल के नितिन गुर्जर भी हैं। आरोपी ठगी के गिरोह में शामिल होकर उन खातों को खुलवाते थे, जिनमें ठगी की रकम ट्रांसफर की जाती है।
जांच में सामने आया कि कई भिखारियों की आईडी का इस्तेमाल कर उनके नाम पर खाते खुलवाए। डेबिट कार्ड व खाते के अन्य जरूरी दस्तावेज खुद रखते थे। इन खातों को खुद इस्तेमाल करते थे। पिछले एक साल में ऐसे करीब सौ खाते खुलवाए गए। साइबर क्राइम थाने की जांच टीम का कहना है कि ये संख्या और भी बड़ी हो सकती है। जांच जारी है।
चार्जशीट लगाने की तैयारी
मामले में करीब एक महीने से आरोपियों की गिरफ्तारी चल रही है। दस के खिलाफ विवेचना काफी हद तक पूरी हो चुकी है। जल्द ही पुलिस उनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल करेगी। आगे की विवेचना चलती रहेगी। मामले में अभी कुल कितने आरोपी बाकी हैं, ये स्पष्ट नहीं है।