Lucknow Corona Update: After the alert was issued, the first case of Covid found in the city

सांकेतिक तस्वीर
– फोटो : फाइल

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लखनऊ में आलमबाग इलाके में एक महिला में कोरोना वॉयरस जांच में मिला है। वह होम आईसोलेशन में हैं। स्वास्थ्य विभाग के अफसरों ने नमूना जिनोम सीक्वेंसिंग के लिए केजीएमयू भेजा गया है। अफसरों का कहना है महिला में हल्के लक्षण हैं। उसकी सेहत की निगरानी की जा रही है।

कोरोना के नए वैरिएंट जेएन 1 को लेकर देशभर में अलर्ट है। चंदरनगर निवासी महिला को पिछले हफ्ते सर्दी-जुकाम व बुखार के लक्षण हुए। नजदीकी डॉक्टर से दवा ली मगर फायदा न हुआ। शक होने पर डॉक्टर ने कोरोना की जांच कराई। महिला की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। जिला सर्विलांस अधिकारी डॉ. निशांत निर्वाण का कहना है कि महिला पूरी तरह से स्वस्थ है। उसमें कोरोना जैसे गंभीर लक्षण नहीं है। टीम जरिए कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग की जा रही हैं। फोन पर मरीज की सेहत का हाल लिया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि तीन हफ्ते पहले एक केस आया था। उसकी जीनोम भी कराया गया मगर कोई नया वैरिएंट नहीं मिला।

इम्युनिटी में अचानक हुई गिरावट से बढ़े ब्लैक फंगस के मरीज

कोविड के दौरान तमाम मरीजों की इम्युनिटी में अचानक गिरावट हुई। ऐसे मरीजों को ब्लैक फंगस का सामना करना पड़ा। यह खुलासा हुआ केजीएमयू पैथोलॉजी विभाग की एडिशनल प्रोफेसर डा. गीता यादव की शोध में। इस शोध रिपोर्ट को बृहस्पतिवार को केजीएमयू में आयोजित शोध शो केस में बेस्ट पैरा क्लीनिकल अवार्ड दिया गया।

कोविड की दूसरी लहर के बाद तमाम मरीजों में ब्लैक फंगस मिलने लगा। इस पर पैथोलॉजी विभाग की एडिशनल प्रोफेसर डा. गीता यादव ने इसकी वजह तलाशना शुरू किया। इस बीच अलग- अलग तरह के 62 मरीजों के सैंपल लिए गए। इस दौरान देखा गया कि ब्लैक फंगस की बड़ी वजह शरीर में टी- सेल का प्रभाव है। जिन मरीजों की इम्युनिटी में तेजी से गिरावट हुई, उनमें इसका असर ज्यादा था। 

इसकी वजह थी कि इम्युनिटी (टी सेल) अचानक सक्रिय हुए और कुछ देर में मृत हो गए। फिर वे ब्लैक फंगस को रोक नहीं पाए। ऐसे मरीजों में ब्लैक फंगस खतरनाक स्थिति में पहुंचा। जिन मरीजों में इम्युनिटी में धीरे-धीरे गिरावट हुई, उनमें इसका असर कम रहा। इम्युनिटी गिरने की वजह ज्यादातर मरीजों में स्टेरायड की अंधाधुंध प्रयोग पाया गया। डा. गीता ने बताया कि सामान्य तौर पर मधुमेह, एचआईवी पीड़ित मरीजों में ब्लैक फंगस का खतरा होता है। लेकिन कोविड वाले मरीजों में एचआईवी वाले मरीजों की अपेक्षा ब्लैक फंगस कम खतरनाक पाया गया।

 



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