
ब्रजेश पाठक ने दिया मामले में दखल।
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लखनऊ में कुर्सी रोड स्थित निजी अस्पताल में बिल पेमेंट न करने पर महिला मरीज को बंधक बना लिया। परिजनों ने विरोध किया तो स्टॉफ ने उन्हें धमकाते हुए पीटने की बात कही। इससे मरीज को छोड़कर परिजन चले गए और सोशल मीडिया (एक्स) के माध्यम से डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक से शिकायत की। जांच का आदेश होने पर स्वास्थ्य विभाग के अफसरों की नींद टूट गई। वहीं, अस्पताल प्रशासन का कहना है तीमारदारों ने सिर्फ दस हजार रुपये ही बिल के जमा किए हैं। महिला मरीज को बंधक बनाने का आरोप बेबुनियाद है।
सीतापुर के धनपुरिया गांव निवासी गिरीश ने बताया कि उनकी पत्नी दुलारा (55) का इलाज क्षेत्र के निजी डॉक्टर से चल रहा था। छह दिन पहले तबीयत खराब होने पर परिजन लखनऊ के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराने के लिए ला रहे थे। आरोप है एंबुलेंस चालक ने बेहतर व सस्ता इलाज की बात कहकर टेढ़ी पुलिया स्थित वेदांता अस्पताल में भर्ती करा दिया। यहां डायलिसिस की सुविधा न होने पर दूसरे अस्पताल भेजा और 18 हजार रुपये ले लिए। दूसरी जांच व दवा के नाम पर करीब एक लाख रुपये अस्पताल में जमा कराए, लेकिन पूरे बिल अस्पताल की ओर से नहीं दिए गए।
तीमारदारों ने रुपये न होने की बात कह शुक्रवार को डिस्चार्ज के लिए कहा तो अस्पताल ने करीब 70 हजार रुपये का बिल थमा दिया। परिजनों ने दस हजार रुपये होने की बात कही तो अस्पताल स्टॉफ ने बिना बिल पेमेंट के मरीज ले जाने से रोक दिया और पुलिस बुलाकर पिटवाने की धमकी दी। परिजन, मरीज को अस्पताल में छोड़ गए और डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक से सोशल मीडिया पर शिकायत की। डिप्टी सीएम ने शिकायत का संज्ञान तो पुलिस और स्वास्थ्य विभाग हरकत में आया। पुलिस ने परिजनों को बुलाकर मरीज को उन्हें सौंप दिया। नर्सिंग होम के नाेडल डॉ. एपी सिंह के मुताबिक, मामले की जांच कराई जाएगी। इसके बाद आगे की कार्रवाई होगी।
नहीं आए तीमारदार
मरीज के इलाज का कुल 90 हजार रुपये बिल बना था। तीमारदारों ने सिर्फ 10 हजार रुपये ही जमा किए थे। तीमारदार को बुलाया गया था, लेकिन वे नहीं आए। हालांकि, पुलिस की मौजूदगी में मरीज को परिजनों के सुपुर्द कर दिया गया है।- डॉ. सर्वेश, वेदांता अस्पताल