Lucknow : Relief to Ritu Maheshwari, Chief Executive of GNIDA

रितु माहेश्वरी

विस्तार

एक भूखंड आवंटी और ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण (जीएनआईडीए) के बीच चल रहे वाद में जीएनआईडीए की मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) रितु माहेश्वरी को राज्य उपभोक्ता आयोग से राहत मिली है। आयोग ने जिला उपभोक्ता फोरम के उस आदेश को पलट दिया है, जिसमें उन्हें एक महीने की जेल की सजा सुनाई गई थी और गिरफ्तारी का आदेश भी जारी किया गया था। आयोग के अध्यक्ष अशोक सिंह एवं सदस्य विकास सक्सेना ने इस मामले की सुनवाई की। कहा कि जिला उपभोक्ता फोरम ने फैसला देने में सही प्रक्रिया नहीं अपनाई। फोरम इस पर फिर से विचार करे।

दरअसल महेश मित्रा नाम के एक व्यक्ति ने वर्ष 2001 में एक भूखंड के आवंटन के लिए आवेदन किया था। आरोप है कि ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण ने मित्रा को जमीन आवंटित नहीं की। मामला वर्ष 2005 में जिला उपभोक्ता फोरम में पहुंचा, जिस पर 18 दिसंबर 2006 को फैसला सुना दिया। आदेश दिया गया कि मित्रा को उनकी आवश्यकता के अनुसार 1,000 से 2,500 वर्ग मीटर के बीच का एक भूखंड आवंटित किया जाए। प्राधिकरण को मामले की पूरी कानूनी फीस का भुगतान करने का भी आदेश दिया।

बाद में यह मामला राज्य उपभोक्ता आयोग से लेकर राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग तक पहुंचा। राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग ने अपने फैसले में कहा कि मित्रा को 500 से 2,500 वर्ग मीटर के बीच का कोई भी भूखंड आवंटित किया जा सकता है। जब जीएनआईडीए ने राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग के फैसले को लागू नहीं किया तो इसके खिलाफ मित्रा ने फिर जिला उपभोक्ता फोरम का दरवाजा खटखटाया। इसी साल जनवरी माह में जिला उपभोक्ता फोरम ने नया आदेश पारित किया। इसमें जीएनआईडीए सीईओ को एक महीना जेल की सजा सुना दी गई। उन्हें गिरफ्तार करने के लिए गौतमबुद्ध नगर पुलिस आयुक्त को वारंट भी भेजा गया है। इस पर प्राधिकरण ने राज्य उपभोक्ता आयोग का सहारा लिया।

बृहस्पतिवार को राज्य उपभोक्ता आयोग ने इस मामले में अपना फैसला सुना दिया। आयोग ने कहा कि एक्ट में फोरम को सीआरपीसी की पावर दी गई है। लेकिन इसके लिए सही प्रक्रिया नहीं अपनाई है। फोरम को उस पर विचारण करके सजा सुनानी चाहिए थी। सही प्रक्रिया अपनाए बिना सीधे सजा का आदेश नहीं किया जा सकता। इस पर जिला उपभोक्ता को पुन: विचार करना चाहिए।



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