Lucknow: Martyr Anshuman's father said - When the son became martyr, the daughter-in-law left us

Shaheed Anshuman Singh
– फोटो : अमर उजाला

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 बेटा देश की सेवा में बलिदान हो गया। बहू ने साथ छोड़ दिया। सरकार ने जो मदद की, वह बहू को मिली। हमारी आंखें आंसुओं से भरी हैं और हाथ खाली हैं। ऐसे में जरूरी है कि सरकार को सम्मान के नियमों में बदलाव करना चाहिए। ताकि शहीद की पत्नी के साथ-साथ माता-पिता का भी ख्याल रखा जा सके। आखिर उन्होंने भी अपना बेटा खोया होता है। यह दर्द शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह के पिता रवि प्रताप सिंह ने बयां किया। शुक्रवार को बुद्घेश्वर स्थित अपने आवास पर उन्होंने अपने मन की बात साझा की। वह सेना से सेवानिवृत्त हैं। उन्होंने बताया कि राष्ट्रपति भवन में पत्नी मंजू सिंह, बेटी तान्या सिंह और बहू स्मृति सिंह के साथ गए थे। जहां राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने स्मृति को कीर्ति चक्र प्रदान किया।

कीर्ति चक्र छूने तक नहीं दिया

रवि प्रताप सिंह का कहना है कि स्मृति ने सास मंजू के अलावा किसी को भी कीर्ति चक्र छूने नही दिया। इस दौरान परिवार के किसी भी सदस्य से बातचीत नहीं की। वह अपने पिता राजेश सैनी के साथ पंजाब के पठानकोट चली गई। मोबाइल नंबर तक ब्लॉक कर दिया। सारे दस्तावेजों पर देवरिया का पता हटाकर पठानकोट का पता डलवा लिया। ऐसे में शहीद के माता-पिता का भी ख्याल रखा जाना चाहिए। सम्मान के नियमों में बदलाव किया जाए।

शहीद की प्रतिमा होगी स्थापित

नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह ने शहीद के परिजनों से बात कर उन्हें मदद का आश्वासन दिया। शहीद के पिता ने मोहान रोड़ पर स्थित बुद्धेश्वर चौराहे पर शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह की प्रतिमा स्थापित करने की बात कही, जिस पर नगर आयुक्त ने जल्द ही ऐसा करने का आश्वासन दिया। शहीद के पिता ने भाई घनश्याम सिंह और मां मंजू ने कीर्ति चक्र के साथ इसका उद्घाटन किए जाने की मांग की है।

सियाचिन ग्लेशियर में हुए थे शहीद

कैप्टन अंशुमान सिंह मूलरूप से देवरिया निवासी थे। लखनऊ में बुद्घेश्वर चौराहे के पास उनका मकान है। कैप्टन अंशुमान सिंह 19 जुलाई, 2023 को सियाचिन ग्लेशियर में शहीद हो गए थे। वहां भारतीय सेना के टेंट में आग लग गई थी, जिसमें कई जवान फंस गए थे। उनकी जान बचाने के दौरान वह बलिदान हो गए।



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