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अरशद के घर के अंदर की फोटो
– फोटो : अमर उजाला
अस्मा और उनकी 4 बेटियों की सामूहिक हत्या का राज जानने के लिए शुक्रवार को लखनऊ पुलिस आगरा पहुंची। इस्लाम नगर में 18 दिसंबर से बंद बदरुद्दीन के घर का ताला खोला। कमरों में काफी देर तक छानबीन की। पिता-पुत्र हत्या से पहले कुछ ऐसा तो घर में नहीं छोड़ गए, जो हत्याकांड की विवेचना में महत्वपूर्ण साक्ष्य साबित हो, उसको तलाश किया। मगर, कुछ भी हाथ नहीं आया। इसके बाद टीम ने बस्ती के पुरुषों से लेकर महिलाओं के भी बयान दर्ज किए।

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आरोपी बदर अली, उसका पुत्र अरशद
– फोटो : अमर उजाला
मोहम्मद बदर का मकान खरीदने वाले के बयान हुए दर्ज
टेढ़ी बगिया इस्लाम नगर की रहने वाली असमां उनकी चारों बेटियों की लखनऊ के होटल में सामूहिक हत्या का ठोस कारण का पता नहीं लग सका है। लखनऊ के साथ आगरा पुलिस भी हत्याकांड की जांच में जुटी है। शुक्रवार की दोपहर दो बजे लखनऊ पुलिस की टीम आगरा पहुंची। थाना ट्रांस यमुना के प्रभारी निरीक्षक भानु प्रताप सिंह से संपर्क किया। टीम में नाका थाने के दरोगा अरविंद कुमार और सुशील कुमार शामिल थे। उन्होंने मोहम्मद बदर का मकान खरीदने वाले अलीम और बैनामे में गवाह अहमद के बयान दर्ज किए।

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घर के अंदर खड़ी साइकिल
– फोटो : अमर उजाला
पड़ोसियों से हुई पूछताछ
अरशद के पड़ोसी आफताब के अलावा रानू व सलीम से भी पूछताछ की। उनके बयान दर्ज किए। आफताब से मोहम्मद बदर का 16 एवं 18 दिसंबर को विवाद हुआ था, जिसकी शिकायत बदर ने मुख्यमंत्री पोर्टल पर की थी। इसमें पूरे बस्ती और लोगों पर आरोप लगाए थे। धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर होने की बात कही थी।

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पुलिस ने किया पड़ोसियों से पूछताछ
– फोटो : अमर उजाला
सभी ने कहा पिता-पुत्र का आरोप गलत
लखनऊ पुलिस की टीम ने इन बिंदुओं पर भी पूछताछ की। एक घंटे से अधिक विस्तृत पूछताछ के दौरान सभी ने कहा कि पिता-पुत्र के लगाए आरोप गलत हैं। इसी गवाह पूरी बस्ती है। अगर, किसी से विवाद होता तो कोई तो कुछ बोलता। मगर, हर कोई पिता-पत्र को ही दोषी ठहरा रहा है। 1 घंटे तक पूछताछ के बाद टीम दोपहर 3:45 बजे अरशद के घर इस्लाम नगर पहुंची। पुलिसकर्मियों के पास बंद घर लगे ताले की चाबी भी थी।

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इस्लामनगर में बदरुद्दीन के घर के बाहर से निकलते लोग और पड़ा सन्नाटा
– फोटो : अमर उजाला
कमरों के गेट तक नहीं किए थे बंद
बदरुद्दीन का घर 18 दिसंबर की रात से बंद है। परिवार रात में चला गया था। इस पर पुलिस टीम मकान के अंदर गई। 45 मिनट तक छानबीन करती रही। घर के अंदर कमरे के गेट पर चप्पलें पड़ी हुई थीं। साइकिल पर कपड़े रखे हुए थे, जिसे लेकर ही पिता-पुत्र बाजार जाया करते थे। पास में ही स्टूल उल्टा करके रखा गया था। कमरों के भी दरवाजे खुले हुए थे। घर में पानी भी फैला हुआ था। इससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि बदरुद्दीन अपने परिवार के साथ बहुत ही जल्दबाजी में निकला था। इसलिए कमरों के गेट तक बंद नहीं किए। पानी की बोतल भी दरवाजे पर ही रखी हुई थी। धर्म पविर्तन और मंदिर बनाने जैसा भी कुछ नहीं मिला।