नगर पालिका परिषद की बोर्ड की बैठक में हुआ विचार, शासन को भेजा जाएगा प्रस्ताव

30 साल से करीब पांच हजार की आबादी नगर क्षेत्र में शामिल करने की उठा रही मांग

संवाद न्यूज एजेंसी

रायबरेली। शहर से सटे सुभाष नगर (ग्राम चक बहादुरपुर) के रहने वाले लोगों की दुश्वारियां जल्द दूर होने वाली हैं। वजह इस गांव को शहरी क्षेत्र में जोड़ने की कवायद शुरू हो गई है। नगर पालिका परिषद की बोर्ड की बैठक में इस पर विचार हुआ। अगली बोर्ड की बैठक में इस पर फिर से विचार होगा और फिर शासन को प्रस्ताव भेजा जाएगा।

दरअसल, कानपुर रोड राजघाट के पास सुभाष नगर पड़ता है। शहर से जुड़ा है और इसे बसे 30 साल से ज्यादा का समय हो गया है। बावजूद शहर की सुविधाएं सुभाष नगर में रहने वाले लोगों को नहीं मिल पाती। करीब पांच हजार की आबादी रहती है। धीरे-धीरे इस क्षेत्र का दायरा बढ़ता जा रहा है। बुधवार को पालिका कार्यालय के सभागार में हुई बोर्ड की बैठक में नगर पालिकाध्यक्ष शत्रोह्न सोनकर ने सुभाष नगर को शहर क्षेत्र में शामिल होने का प्रस्ताव रखा। इस पर सभी सभासदों ने अपनी राय दी।

इस दौरान सभासद परमजीत सिंह गांधी ने कहा कि सुभाष नगर के साथ ही त्रिपुला, मुंशीगंज, मटिहा गांव को भी शहरी क्षेत्र में शामिल किया जाए। इसमें किसी तरह का भेदभाव ना किया जाए। पालिकाध्यक्ष ने बताया कि सुभाष नगर के अलावा अन्य मोहल्लों को शहरी क्षेत्र में शामिल करने के लिए प्रस्ताव बनाया जा रहा है। जल्द शासन को प्रस्ताव भेजा जाएगा। शासन से हरी झंडी मिलने के बाद सुभाष नगर के अलावा अन्य मोहल्लों को नगर क्षेत्र में जोड़कर शहरी सुविधाएं दिलाई जाएंगी।

इंतजार में बीत रहे दिन, कब होगा शामिल

सुभाष नगर मोहल्ले के महादेव पाल, अजय श्रीवास्तव, विकास तिवारी, देवीशंकर कहते हैं कि तीन दशक से ज्यादा का समय बीत चुका है, लेकिन सुभाष नगर को नगर पालिका क्षेत्र में शामिल नहीं किया गया है। इसका खामियाजा हम लोगों को उठाना पड़ता है। विकास के नाम पर कुछ नहीं होता। यदि सुभाष नगर को नगर क्षेत्र में शामिल कर लिया जाए तो उनके लिए यह अच्छा होगा।

नगर क्षेत्र में शामिल मोहल्लों में कम नहीं दुश्वारियां

शहर क्षेत्र में जिन मोहल्लों को शामिल भी कर लिया गया है, वहां पर दुश्वारियां कम नहीं हैं। बालापुर, सोनिया नगर, लखपति नगर, आजाद नगर, फातिमा कॉलोनी, देवानंदपुर, महानंदपुर मोहल्लों को नगर क्षेत्र में जोड़ा गया है। इन मोहल्लों में न तो चलने लायक पक्की सड़कें हैं और न ही ठीक तरीके से साफ-सफाई होती है। बारिश होने पर जलभराव हो जाता है। इससे लोगों को घर से निकलना मुश्किल हो जाता है। गर्मी के दिनों में भी पेयजल का संकट भी रहता है। सवाल उठते हैं कि पालिका की ओर से अन्य क्षेत्रों को शहरी क्षेत्र में शामिल किए जाने के प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन पहले से शहर में जुड़े मोहल्लों में विकास कागजों तक सीमित रह गया है।

मामा चौराहा का नाम संकट मोचन धाम

लखनऊ-प्रयागराज राष्ट्रीय राजमार्ग स्थित मामा चौराहा का नाम अब संकट मोचन धाम होगा। नगर पालिका परिषद की बोर्ड की बैठक में इस प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया है। ईओ स्वर्ण सिंह ने बताया कि शासन की अनुमति मिलने के बाद मामा चौराहा का नामकरण संकट मोचन धाम कर दिया जाएगा।



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