वर्ष 2013 में 50 एकड़ जमीन में बनाई गई थी यह फैक्टरी
एचबी व्हील्स के लिए विदेशी निर्भरता खत्म करने में सक्षम
लालगंज (रायबरेली)। आधुनिक रेल डिब्बा कारखाना (आरेडिका) परिसर के पास बने रेल पहिया कारखाने को रेलवे टेकओवर करने की तैयारी में है। पिछले 10 सालों में इस कारखाने से लक्ष्य के अनुसार पहियों का निर्माण नहीं हो पाया। यही कारण है कि अब रेलवे ने इसे अपने हाथ में लेने की दिशा में काम शुरू कर दिया है।
लालगंज में सांसद सोनिया गांधी ने 8 अक्तूबर 2013 को रेल पहिया कारखाना का शिलान्यास किया था, जो 50 एकड़ में बनाया गया। निर्माण के लिए 1683 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। इसके संचालन का जिम्मा केंद्रीय इस्पात मंत्रालय के अधीन काम करने वाली राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड (आरआईएनएल) को दिया गया था। इस कारखाने को तीन साल में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था।
शुरुआती दावों की खुल गई पोल
जब इस फैक्टरी की शुरुआत हुई तो दावा किया गया था कि 2017-18 से यहां हर वर्ष एक लाख रेल पहिये बनाए जाएंगे। इसके निर्माण में जर्मन तकनीक का इस्तेमाल होगा। अफसरों ने बताया था कि इसके बाद रेल पहिया निर्माण करने वाली देश की सबसे बड़ी इकाई बन जाएगी। बताया जाता है कि शुरुआती आठ वर्ष में यहां सिर्फ 75 रेल पहिये ही बनाए जा सके हैं।
आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में करना था काम
अगर यह कारखाना तय क्षमता के अनुसार चलता तो रेल पहिया उत्पादन के मामले में देश आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ता। केंद सरकार हर क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में काम कर रही है। यही कारण है कि अब रेल पहिया कारखाने को रेलवे टेकओवर करने की तैयारी में है। सूत्रों का कहना है कि इसके लिए उच्च अधिकारियों ने कवायद शुरू कर दी है।
निजीकरण की तैयारी भी थी
रेल पहिया कारखाना में उत्पादन बेहतर नहीं हो पाया तो राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड ने इस कारखाने को निजी हाथों में सौंपने की तैयारी की थी, लेकिन योजना सिरे नहीं चढ़ पाई। अब रेलवे इसे अपने हाथों में लेने की तैयारी में है, ताकि कारखाने से क्षमता के अनुरूप उत्पादन हो सके। सूत्र बताते हैं कि एक टीम ने कारखाना पहुंचकर असेसमेंट का काम शुरू कर दिया है।
रेलवे के उच्च अधिकारियों ने रेल पहिया कारखाने को लेकर दिशानिर्देश दिए हैं। कारखाने को टेकओवर करने की दिशा में काम चल रहा है। जल्दी ही इस पर अंतिम फैसला लिया जाएगा। -पीके मिश्रा, जीएम, आरेडिका।