सीतापुर। जिले में एक गांव ऐसा भी है, जहां आजादी के बाद से अब तक सड़क नहीं बनी है। कसमंडा ब्लॉक मुख्यालय के पीछे बसे ग्राम पंचायत महोली के मजरा पट्टी गांव के 600 लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
ब्लॉक मुख्यालय से 300 मीटर दूर रेलवे स्टेशन के पीछे बसे पट्टी गांव में अगर कोई बीमार हो तो यहां एंबुलेंस नहीं पहुंच पाती है। रेलवे स्टेशन के पीछे एक बाग में होकर लोग आवागमन करते हैं। बारिश में जलभराव होने से निकलना मुश्किल हो जाता है। ग्रामीणों का कहना है कि हर बार चुनाव में नेता सड़क बनवाने का आश्वासन देते हैं पर चुनाव बीतने के बाद कोई पलट कर नहीं देखता है। स्थानीय लोगों ने बताया कि जनप्रतिनिधियों से लेकर डीएम तक से सड़क बनवाने की गुहार लगाई पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
पिछले साल मंजूर हुआ खंडजा, फाइलों में अटकापट्टी के ग्रामीणों ने अथक प्रयास करके दिसंबर 2022 में जिला पंचायत से खंडजा लगवाने की स्वीकृति कराई। लेकिन यह कवायद फिलहाल फाइलों में कैद हो गई है। दरअसल, ग्राम पंचायत की जिस जमीन पर खडंजा लगना है वहां 13 पेड़ कटने हैं। मूल्यांकन हो चुका, इसके बाद कवायद आगे नहीं बढ़ पा रही है। ग्रामीणों के मुताबिक फाइल सिधौली तहसीलदार के दफ्तर में अटकी है। कई बार ग्रामीणों ने फाइल आगे बढ़वाने के लिए तहसीलदार कार्यालय जाकर प्रयास किया पर सफलता नहीं मिली।
चाैपहिया है पर घर तक नहीं पहुंचती
सड़क के अभाव में गांव तक वाहन ले जाना मुश्किल है। हमारे पास चौपहिया वाहन है। रास्ता न होने से इसे कमलापुर में ही पार्क करना पड़ता है।
– रंजीत शुक्ल, ग्रामीण
बीमार को अस्पताल पहुंचाना मुश्किल
गांव में सड़क नहीं होने से लोगों को आवागमन में काफी परेशानी होती है। एंबुलेंस गांव नहीं पहुंचती। बीमारी की हालत में मरीजों को अस्पताल तक पहुंचने में काफी समय लग जाता है।
– विनोद शुक्ल
गांव नहीं पहुंचती स्कूली बस
हाईवे से महज एक किमी दूर बसे गांव में पक्की सड़क न होने के कारण बच्चों को स्कूल ले जाने के लिए कोई स्कूली वाहन नहीं आता है। इससे बच्चों को गांव से एक किलोमीटर दूर रोड तक पैदल आना पड़ता है।
– गुंजन मिश्रा, छात्रा
बारिश में बढ़ जाती समस्या
गांव तक आने वाले रास्ते पर बारिश में जलभराव हो जाता है। इसके कारण निकलने में काफी परेशानी होती है। महिलाओं, बुजुर्गों और बच्चों के लिए पानी के बीच से निकलने में कठिनाई होती है।
– गोकरन नाथ मिश्रा, ग्रामीण