सीतापुर। जिला अस्पताल में स्पेशलिस्ट चिकित्सकों के अभाव में हर माह करीब 200 मरीज लखनऊ रेफर किए जाते हैं। इसमें अधिकतर मरीज ह्रदय रोग, लीवर व किडनी की समस्या से ग्रस्त होते हैं। इसके अलावा एक्सीडेंट में घायल मरीजों की संख्या भी काफी अधिक रहती है। कई बार लखनऊ ट्रॉमा सेंटर की करीब 90 किलोमीटर दूरी उनकी सांसों पर भारी पड़ जाती है।

जिला अस्पताल की ओपीडी में इस समय 2500 से 3000 के बीच मरीज रोजाना आ रहे हैं। इन मरीजों में कई गंभीर भी होते है। कुछ मरीजों को अस्पताल में भर्ती करके इलाज दिया जाता है तो कुछ को प्राथमिक उपचार के बाद सीधे रेफर कर दिया जाता है। जिला अस्पताल के मुताबिक रोजाना पांच से आठ मरीज रेफर किए जाते हैं।

रेफर करने वाले मामलों में अधिकतर एक्सीडेंट के केस होते हैं। इनमें भी खासकर वे मरीज होते हैं, जिनके सर में चोट लगी होती है। गोली शरीर के अंदर कहीं धंस गई होती है। इसके अलावा लीवर व किडनी में पानी भरने व ह्रदय रोग की समस्या होती है। इन गंभीर बीमारियों का अस्पताल में इलाज न होने के चलते रेफर के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता है।

रात 8 बजे के बाद 40 फीसदी मरीज होते हैं रेफर

जिला अस्पताल से प्रत्येक माह 200 मरीज रेफर किए जाते हैं। इन मरीजों में करीब 40 फीसदी मरीज रात आठ बजे के बाद रेफर होते हैं। यह ये मरीज होते हैं जो एक्सीडेंट में घायल होकर आते हैं। इमरजेंसी में ह्रदय रोगी व जहर खाने के बाद गंभीर मरीजों को रेफर किया जाता है।

इन चिकित्सकों के प्रमुख पद खाली बने वजह

जिला अस्पताल में एक दशक से ह्रदय रोग विशेषज्ञ का पद खाली चल रहा है। एक सर्जन का पद रिक्त है। दो फिजीशियन के पद खाली चल रहे हैं। एक ईएनटी व एक त्वचा रोग विशेषज्ञ का पद खाली होने से इलाज में दिक्कत आ रही है।

ट्रामा भवन है पर चालू नहीं

मरीजों को बेहतर इलाज के लिए करीब दो करोड़ की लागत से जमैय्यतपुर में ट्रामा भवन बनकर तैयार खड़ा है। चिकित्सकों की पोस्टिंग व मशीनों के अभाव में यह बंद पड़ा है। केवल दिखावे के लिए ओपीडी सेवा चालू कर दी गई है। जबकि इसे चालू करने को लेकर जनप्रतिनिधियों से लेकर जिलाधिकारी भी कई बार शासन को पत्र लिख चुके है।

ट्रामा सेंटर हो चालू तो दूर होगी समस्या

जिला अस्पताल में कई चिकित्सकों के पद रिक्त है। गंभीर मरीज के लिए ट्राॅमा सेंटर की जरूरत पड़ रही है। अगर जिले में यह चालू हो जाए तो मरीजों को रेफर करने की जरुरत नहीं पड़ेगी।

डॉ. आरके सिंह, सीएमएस, जिला अस्पताल



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