रायबरेली। शहर के सत्यम हॉस्पिटल में बरती गई इलाज में लापरवाही दो माह के नवजात पर भारी पड़ गई है। शुक्रवार को एम्स में बच्चे का ऑपरेशन करके उसके बाएं हाथ को काट दिया गया। बच्चे की हालत नाजुक होने पर उसे आईसीयू में भर्ती कराया गया है। उधर, डीएम के आदेश पर नर्सिंगहोम में बरती गई लापरवाही को लेकर शुरू की गई जांच पांचवें दिन भी किसी नतीजे पर नहीं पहुंची है। इससे पीड़ित परिवार को न्याय के लिए भटकना पड़ रहा है।

लालगंज क्षेत्र के रानीपुर गांव निवासी सुरेंद्र कुमार शर्मा के दो माह के बेटे राघव का बुखार का इलाज शहर के इंदिरा नगर स्थित सत्यम हॉस्पिटल में हुआ। वीगो लगाने में बरती गई लापरवाही के कारण नवजात का पूरा हाथ सड़ गया। शुरूआत में ही हॉस्पिटल संचालक ध्यान दे देते तो बच्चे के हाथ को बचाया जा सकता था, लेकिन एक-एक करके कई लापरवाहियों के सामने आने के बाद बच्चे की स्थिति नाजुक हो गई।

बच्चे को गंभीर हालत में एम्स में भर्ती कराया गया। सभी जांचे कराए जाने के बाद शुक्रवार को बच्चे के हाथ का ऑपरेशन किया गया। सुबह साढ़े 10 बजे बच्चे को ऑपरेशन थिएटर में ले जाया गया। अपरान्ह करीब दो बजे उसे ओटी से बाहर करने के बाद आईसीयू में शिफ्ट कर दिया गया है। ऑपरेशन के बाद बच्चे का बायां हाथ उससे हमेशा के लिए जुदा हो गया है।

उधर, डीएम माला श्रीवास्तव के आदेश पर शुरू हुई जांच शुक्रवार को पांचवें दिन भी बेनतीजा रही। टीम प्रभारी व एसीएमओ डॉ. अरविंद कुमार के कोर्ट जाने के कारण जांच में कुछ नहीं हुआ। शनिवार को जांच आगे बढ़ सकती है। सीएमओ डॉ. वीरेंद्र सिंह का कहना है कि टीम को जल्द ही जांच पूरी करके रिपोर्ट देने के आदेश दिए गए हैं, जिससे मामले में आगे की कार्रवाई की जा सके।

इनसेट

जिनकी वजह से बेटे का हाथ कटा, उन्हें मिले कड़ी सजा

बच्चे के पिता सुरेंद्र कुमार शर्मा अपने दो माह के बच्चे को लेकर बेहद परेशान हैं। ऑपरेशन में बेटे का बायां हाथ काटे जाने की जानकारी देकर पिता सुरेंद्र की आंखें डबडबा आईं। पिता ने कहा कि सत्यम हॉस्पिटल में जिनकी वजह से बेटे का हाथ काटना पड़ा, उन्हें कड़ी से कड़ी सजा दी जाए। डीएम और जिला प्रशासन पर पूरा विश्वास है कि उन्हें न्याय मिलेगा। उन्होंने बताया कि ऑपरेशन के बाद बेटे को आईसीयू में रखा गया है। चिकित्सक ने कहा कि बच्चे को ठीक होने में समय लगेगा।

सत्यम हॉस्पिटल के खिलाफ शुरू हुई जांच में हॉस्पिटल संचालक डॉ. केएस सिंह, उनके बेटे डॉ. आशुतोष सिंह, जिला अस्पताल के सर्जन डॉ. जेके लाल, बच्चे की मां अंजू देवी, अस्पताल की स्टाफ नर्स आरुषि समेत सात लोगों का बयान लेने के बाद शुक्रवार को बयानों की समीक्षा की जानी थी, लेकिन यह काम नहीं हो सका। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि जांच में देरी की जा रही है।



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