लखनऊ। एनआरआई विनोद घिल्डियाल से जालसाजी के चार साल पुराने मामले की जांच अब क्राइम ब्रांच करेगी। मामले में गोमतीनगर पुलिस ने अंतिम रिपोर्ट लगा दी थी। एनआरआई की मांग पर डीजीपी आरके विश्वकर्मा ने मुकदमे की दोबारा जांच करने का आदेश दिया है। एनआरआई विनोद घिल्डियाल के मुताबिक, वह अमेरिका में पत्रकार रह चुके हैं। जालसाजी के मामले की जांच के लिए वे सात महीने से पुलिस व अदालत के चक्कर लगा रहे हैं। उन्होंने 2019 में गोमतीनगर थाने में केस दर्ज कराया था।
इसमें अपने भाई, उसकी पत्नी व भतीजे पर जाली दस्तावेज तैयार कर संपत्ति हड़पने का आरोप लगाया था। आरोप है कि इन तीनों ने गिफ्ट डीड बनाकर उनके मकान पर कब्जा कर लिया। फिर वकीलों के जरिये कोर्ट में वाद दिखाया और स्थगन आदेश हासिल कर लिया।
मामले में पुलिस ने जांच के दौरान लापरवाही की। वहीं, आरोपी भतीजे मोहित ने हाईकोर्ट में फर्जी हलफनामा दाखिल किया और खुद को महिला बताकर गिरफ्तारी से बचने के लिए स्थगन आदेश हासिल किया। जांच में पता चला कि भाई की पत्नी मंजू घिल्डियाल ने जाली गिफ्ट डीड में जिस व्यक्ति को अपना पति बताया था।
वह उनका चालक महेश था, जिसे पुलिस जांच में मंजू ने पहचानने से इनकार कर दिया। उन्होंने गोमतीनगर थाने में दर्ज केस में जांच कर रहे पुलिसकर्मियों की भूमिका पर संदेह जताया। साथ ही पूरे मामले की जांच अपराध शाखा से करवाने की मांग की।
वहीं लापरवाह पुलिसकर्मियों के खिलाफ विभागीय जांच कराए जाने की अपील की। इंस्पेक्टर गोमतीनगर दिनेश चंद्र मिश्रा ने बताया कि पुलिस कमिश्नर के आदेश पर केस क्राइम ब्रांच को स्थानांतरित कर दिया गया है।
सात दिन पहले गाजीपुर में दर्ज हुआ दूसरा केस
एनआरआई विनोद घिल्डियाल के मकान को उनके सगे भाई हर्षपति घिल्डियाल व उसकी पत्नी मंजू घिल्डियाल ने जाली दस्तावेज तैयार कर हड़प लिया। भाई व उसकी पत्नी ने आवास विकास परिषद के कर्मचारियों की मिली भगत से यह जालसाज की। पीड़ित ने गाजीपुर थाने में तहरीर दी। इसके आधार पर पुलिस ने भाई, उसकी पत्नी व आवास विकास परिषद के कुछ कर्मचारी पर 29 अप्रैल को केस दर्ज कर लिया है।