रायबरेली। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में मरीजों को बेहतर इलाज के लिए जरूरी जांचों तक की सुविधा मुहैया नहीं हो पा रही है। रेडियोलॉजिस्ट की कमी से जूझ रहे संस्थान में गर्भवती और पेट की बीमारी से पीड़ित मरीजों के लिए जरूरी अल्ट्रासाउंड जांच तक बंद है। भर्ती मरीजों को भी जांच के लिए निजी केंद्रों पर जाने की परेशानी उठाना पड़ रही है। इसी तरह एमआरआई जांच की सुविधा तो यहां उपलब्ध है, लेकिन मरीजों को ऋषिकेश से तैयार हो कर मिलने वाली रिपोर्ट के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है।

पांच साल बाद भी एम्स में डॉक्टरों व अन्य जरूरी संसाधनों की कमी व्याप्त है। इसके चलते ही अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन, एमआरआई और एक्सरे आदि की पर्याप्त सुविधा भी मरीजों को नहीं मिल पा रही। कुछ दिन तक यहां रेडियोलॉजिस्ट डॉ. सूर्य प्रताप सिंह ने काम किया, लेकिन बाद में वह भी संस्थआन छोड़कर चले गए। उनके जाने के बाद डॉ. काव्या एमआरआई की जांच तो कर रही हैं, लेकिन रेडियोलॉजिस्ट के अभाव में मरीजों को जांच रिपोर्ट नहीं मिल पा रही है।

डॉ. सूर्य प्रताप के जाने के बाद मरीजों की अल्ट्रासाउंड जांच का कार्य भी पूरी तरह बंद है। रेडियोलॉजिस्ट भर्ती करने के लिए कई बार प्रयास किया गया, लेकिन योग्य चिकित्सक नहीं मिल पा रहे हैं। इसका सीधा खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। ऐसे में एमआरआई सीटी स्कैन व अन्य जांच के लिए मरीजों को कई-कई माह की वेटिंग से जूझना पड़ रहा है।

रेडियोलॉजी विभाग में तैनात होंगे पांच एसआर

मरीजों को जांच से संबंधित सुविधा मुहैया कराने के लिए रेडियोलॉजी विभाग में जल्दी पांच सीनियर रेजीडेंट (एसआर) की भर्ती होगी। इन पदों को भरने के लिए आवेदन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। कई जूनियर रेजीडेंट के पद भी भरने के लिए आवेदन मांगे गए हैं। साथ ही एमआरआई जांच रिपोर्ट के लिए सरकार की संस्था से करार करके जल्द से जल्द रिपोर्ट तैयार कराई जा रही है।

डॉ. एसके सिंह, उप निदेशक (प्रशासन), एम्स



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