लखनऊ। एसजीपीजीआई इस साल राजधानी समेत पूरे प्रदेश में फैले आई फ्लू के कारणों की पड़ताल करेगा। इसके लिए नेत्र विभाग के साथ ही माइक्रोबायोलॉजी विभाग ने प्रक्रिया शुरू कर दी है।
नेत्र विज्ञान विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. रचना अग्रवाल ने बताया कि ऑप्थेलमोलॉजी ओपीडी में हर दिन कंजक्टिवाइटिस के 10 से 12 मामले आ रहे हैं, जिसमें सुबह सूजी हुई पलकों के साथ आंखों में दर्द, पानी आना, चिपचिपाहट की शिकायत रहती है। ज्यादातर मामलों में हल्के लक्षण होते हैं और उपचार पर अच्छी प्रतिक्रिया होती है। नेत्र विज्ञान विभाग से डॉ. अंकिता ऐश्वर्या ने कंजक्टिवाइटिस के रोगियों से कंजंक्टिवल स्वैब एकत्र किए और उन्हें कारक एजेंट की पहचान और प्रकोप की सीमा का निर्धारण करने के लिए माइक्रोबायोलॉजी विभाग की वायरोलॉजी प्रयोगशाला में भेजा है। माइक्रोबायोलॉजी विभाग के डॉ. अतुल गर्ग ने बताया कि विभाग ने वायरल कल्चर और मल्टीप्लेक्स रियल टाइम पीसीआर की जांच की और सभी सामान्य कारणों को कवर करते हुए एडेनो वायरस, एंटरो वायरस, हर्पीज सिम्प्लेक्स, वैरीसेला ज़ोस्टर, ह्यूमन हर्पीस वायरस- 6 आदि 11 वायरस का परीक्षण किया। डॉ. गर्ग ने बताया कि ज्यादातर मामले एंटरो वायरस के थे, इसके बाद एडेनो वायरस और ह्यूमन हर्पीस वायरस के थे। एंटरो वायरस और एडेनो वायरस दुनिया भर में वायरल कंजक्टिवाइटिस का सबसे आम कारण हैं। सभी पृथक वायरस उपभेदों को संरक्षित किया जाएगा और बाद में, यह पहचानने के लिए विश्लेषण किया जाएगा कि कौन सा सटीक कारक इस वर्ष महामारी का कारण बन रहा था।