सीतापुर। पीएम आवास योजना (ग्रामीण) में बीते छह सालों में बनवाए गए आवासों के दस्तावेजों की जांच ऑडिट दल (एजी) ने की है। दल ने तीन ब्लॉकों में चयनित 15 ग्राम पंचायतों के लाभार्थियों का सत्यापन किया। दस्तावेज देखे। शनिवार को परियोजना निदेशक के कक्ष में दस्तावेजों का परीक्षण किया।
कार्यालय प्रधान महालेखाकार (लेखा परीक्षा-प्रथम) प्रयागराज के वरिष्ठ लेखा परीक्षा अधिकारी केके श्रीवास्तव सहित 10 सदस्यों के ऑडिट दल ने पीएम आवास योजना (ग्रामीण) का ऑडिट किया। दल में शामिल अधिकारियों ने 2017-18 से 2022-23 तक बेहटा, गोंदलामऊ और महोली ब्लॉक की चयनित 15 ग्राम पंचायतों के लाभार्थियों का सत्यापन और दस्तावेजों का निरीक्षण किया।
सूत्रों के अनुसार लाभार्थियों के सत्यापन के दरम्यान अधिकतर आवास अधूरे मिले। इनमें प्लास्टर नहीं कराया गया है। रसोई, बरामदा सहित अन्य व्यवस्थाएं नहीं मिलीं। नाम पट्टिका भी नहीं लगी थी। जबकि लाखों रुपये की नाम पट्टिकाएं बनाकर इस धनराशि के दुरुपयोग का मामला सुर्खियों में रहा। शासन से शिकायत की गई थी। जिसकी जांच में शिकायतकर्ता ने लीपापोती का आरोप लगाया था।
अमर उजाला ने इस मामले को प्रमुखता से प्रकाशित किया था। शनिवार को एजी की ओर से विकास भवन स्थित परियोजना निदेशक डीआरडीए के कक्ष में आवास योजना के दस्तावेजों की पड़ताल की गई। इस दरम्यान उनसे आवासों के दस्तावेजों की जांच और लाभार्थियों के सत्यापन के साथ नाम पट्टिका घोटाले से संबंधित जानकारी की गई तो कोई जवाब नहीं दिया। परियोजना निदेशक हरिश्चंद्र प्रजापति ने भी फोन कॉल रिसीव नहीं की।