रायबरेली। ये तो नमूने मात्र हैं। जिले के किसी भी ब्लॉक में परिषदीय स्कूल की बदहाल दशा बारिश में देखी जा सकती है। हर साल स्कूलों को दुरुस्त रखने के लिए उनका कायाकल्प किया जाता है। अब तक करीब 80 करोड़ रुपये परिषदीय स्कूलों में कायाकल्प के नाम पर खर्च हो गए, लेकिन बारिश में एक हजार से अधिक स्कूलों में पानी भर जाता है। योजना के तहत स्कूलों में दो से पांच लाख रुपये तक पंचायतीराज विभाग से खर्च किए जाते हैं। कई स्कूल तो ऐसे हैं, जहां कक्षाओं में भी पानी भर जाता है। बजट तो स्कूलों को सजाने-संवारने में खूब खर्च किया जाता है, लेकिन बारिश से पहले जलभराव की समस्या से निपटने को अब तक अफसरों ने ध्यान ही नहीं दिया। बारिश में हर साल बच्चों को जलभराव की समस्या से परेशान होना पड़ता है, लेकिन कोई भी इस विकराल समस्या को गंभीरता से नहीं ले रहा है। जिले में अब तक 2299 परिषदीय स्कूलों में 2068 स्कूलों में कायाकल्प कल्प का काम किया गया है, लेकिन परिसर में पानी भरने की समस्या के निदान को लेकर काम ही नहीं किया गया।

शहर के पुलिस लाइन स्थित कंपोजिट स्कूल। यहां थोड़ी बारिश में ही लबालब पानी भर जाता है। स्कूल को संवारने में हर साल बजट खर्च होता है, लेकिन जलभराव की समस्या से आज तक निजात नहीं दिलाई गई। बच्चे पानी होकर होकर कक्षाओं में पहुंचते हैं। इसी तरह शहर के कई और स्कूल भी बारिश में टापू नजर आने लगते हैं।

महराजगंज। ब्लॉक क्षेत्र के परिषदीय स्कूलों में जलभराव से निपटने के बंदोबस्त नहीं है। जलभराव के कारण स्कूलों में बच्चों की संख्या कम हो जाती है। प्राथमिक स्कूल ओथी में बिना पानी से गुजरे स्कूल नहीं पहुंच सकते। कंपोजिट स्कूल टूक में भी पानी भरा है। ऐसे में बच्चों को स्कूल पहुंचने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

यह है राही ब्लॉक का पूर्व माध्यमिक स्कूल गदियानी। यहां हल्की बारिश में ही छत टपकने लगती है। बच्चों को दूसरे कक्षों में बैठाकर पढ़ाया जाता है। ब्लॉक के कई और स्कूलों की छतों से पानी टपक रहा है। सतांव ब्लॉक के स्कूलों का हाल भी बारिश में बेहाल है। पूर्व माध्यमिक स्कूल शंकरगंज सहित अन्य स्कूलों में पानी भरा होने के कारण परेशानी हो रही है।



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