ऊंचाहार (रायबरेली)। एनटीपीसी परियोजना में कोयला संकट गहराता जा रहा है। कोयले की कमी के चलते परियोजना प्रबंधन ने बिजली का उत्पादन कम कर दिया है। इस समय परियोजना की छह यूनिटों से 1550 मेगावाट की जगह करीब 900 मेगावट बिजली का ही उत्पादन किया जा रहा है। दूसरी तरफ अधिकारी बिजली की मांग कम होने के चलते यूनिटों का भार कम करने की बात कह रहे हैं।

एनटीपीसी परियोजना की एक दो, तीन, चार व पांच नंबर यूनिटें 210-210 मेगावाट बिजली उत्पादन करती हैं। छठवीं यूनिट 500 मेगावाट बिजली बनाती है। सभी यूनिटों को पूरी क्षमता से चलाने के लिए प्रतिदिन लगभग 22 हजार मीट्रिक टन कोयले की जरूरत होती है।

बारिश व अन्य समस्याओं के चलते सितंबर माह में कोयले की आवक कम रही। इसका असर कोयले के भंडारण पर पड़ा और परियोजना में एकत्र एक माह के कोयले का स्टाक लगभग खत्म हो गया। परियोजना में महज तीन दिन का ही कोयला बचा है, जिससे यूनिटों के बंद होने का खतरा मंडरा रहा है।

अभी प्रतिदिन आने वाले कोयले के सहारे यूनिटें संचालित की जा रही हैं। अब यूनिटों को बंद होने से बचाने के लिए परियोजना प्रबंधन ने यूनिटों से बिजली उत्पादन कम कर दिया है। कुछ यूनिटों को क्षमता से लगभग आधे भार पर चलाया जा रहा है। शनिवार दोपहर बाद परियोजना की यूनिट एक से 193 मेगावाट, दो से 127, तीन से 137, चार से 129, पांच से 118 व छठवीं यूनिट से 284 मेगावाट बिजली उत्पादन हो रहा था।

परियोजना प्रमुख मंदीप सिंह छाबड़ा ने बताया कि बारिश की वजह से कोयला कम आ रहा है, लेकिन बिजली की मांग कम होने के चलते उत्पादन कम किया गया है।

मालगाड़ी से कोयला उतारने में लगता समय

परियोजना में कोयला उतारने के लिए बने चार वैगन ट्रिपलर में दो नंबर ट्रिपलर खराब हैं। खराब ट्रिपलर की मरम्मत कराने का दावा किया जा रहा है। वहीं, दो नए ट्रिपलर अपनी पूरी क्षमता से काम नहीं कर पाते हैं। यही वजह है कि मालगाड़ी से आने वाले कोयले को उतारने में समय लग रहा है और मालगाड़ियां समय से खाली नहीं हो पाती हैं। रेलवे सूत्रों की मानें इस समय प्रतिदिन दो रैक कोयला ही उतर पा रहा है, जिसके चलते भी कोयले की मालगाड़ियां कम भेजी जा रही हैं।

इन राज्यों को दी जाती बिजली

परियोजना में बनने वाली बिजली देश के नौ राज्यों को भेजी जाती है। इसमें यूपी को लगभग 656 मेगावाट, पंजाब -111, उत्तराखंड-91, दिल्ली-97, राजस्थान-154, जम्मू कश्मीर-111, हरियाणा-81, हिमाचल प्रदेश-26 व चंडीगढ़ को करीब छह मेगावाट बिजली दी जाती है। उत्पादन कम होने से इन राज्यों को दी जाने वाली बिजली पर असर पड़ने की आशंका है।



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *