रायबरेली। माध्यमिक शिक्षा के एक स्कूल की तरह बेसिक शिक्षा विभाग के तीन परिषदीय विद्यालय भी गंगा एक्सप्रेस-वे की जद में आने के कारण ढहाए जा चुके हैं। तीनों स्कूलों को पड़ोस के परिषदीय विद्यालयों में शिफ्ट किया गया है। ढहाए गए स्कूलों की जगह नया भवन बनवाने को उन्हीं ग्राम पंचायतों में भूमि देखी गई है। जल्दी ही भवन निर्माण का कार्य शुरू कराने की योजना है। जब तक नया भवन नहीं बन जाता है, तब तक तीनों स्कूलों की कक्षाएं पड़ोसी विद्यालयों में संचालित होंगी।
गंगा एक्सप्रेस-वे के निर्माण के लिए जब नापजोख कराई गई तो बेसिक शिक्षा विभाग के तीन परिषदीय विद्यालय भी उसकी जद में आ गए। इनमें रोहनिया विकास क्षेत्र का प्राथमिक विद्यालय पूरे बसारत अली, जगतपुर विकास क्षेत्र का प्राथमिक विद्यालय कूड और दीनशाह गौरा विकास क्षेत्र का जूनियर हाईस्कूल सुल्तानपुर जनौली शामिल है। गंगा एक्सप्रेस-वे के लिए इन विद्यालयों का ध्वस्त किया जाना जरूरी था। तीन विद्यालयों को ढहाने से पहले इनमें पढ़ने वाले बच्चों को पड़ोस के विद्यालयों में शिफ्ट कर दिया गया।
तीनों विद्यालयों के लिए नए भवन कहां बनेंगे, इसके लिए भूमि की तलाश शुरू हुई। स्कूलों को कहीं दूर नहीं बनवाया जा सकता है, इसलिए आसपास जमीन तलाशी गई। जिन ग्राम पंचायतों में तीनों विद्यालय संचालित थे, उन्हीं ग्राम पंचायतों में जमीन खोजने का काम पूरा कर लिया गया है। विभागीय और प्रशासनिक औपचारिकताएं पूरी करने के बाद भवन निर्माण की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। प्रयास होगा कि तीनों विद्यालयों के भवन जल्द से जल्द बनवा दिए जाएं, ताकि बच्चों को दूसरे विद्यालयों के चक्कर न लगाने पड़ें।
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कुल लागत की 50 फीसदी रकम मिली
जिला समन्वयक (निर्माण) सत्यम वर्मा ने बताया कि पूरे बसारत अली, कूड और सुल्तानपुर जनौली के ढहाए गए विद्यालयों की जगह नए भवन बनेंगे, जिनके लिए भूमि चिन्हित हो चुकी है। इसकी कुल अनुमानित लागत 85.58 लाख रुपये हैं। लगभग 50 फीसदी धनराशि मिल गई है। जमीन के संबंध में प्रक्रिया पूरी होते ही भवन निर्माण शुरू कराया जाएगा। बीएसए शिवेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि तीनों विद्यालयों के नए भवन जल्द से जल्द बनवाने का प्रयास होगा।
गंगा एक्सप्रेस-वे में माध्यमिक शिक्षा विभाग का राजकीय हाईस्कूल रोझइया भीखमशाह आया था, जिसे ढहाया जा चुका है। नए भवन निर्माण के लिए रामगढ़ टिकरिया में जमीन चिन्हित हुई है। माध्यमिक शिक्षा अभियान के प्रभारी जिला समन्वयक रत्नेश कुमार की माने तो भूमि के संबंध में उच्चाधिकारियों की मुहर लगते ही निर्माण कार्य शुरू कराया जाएगा, क्योंकि भवन निर्माण के लिए निर्धारित लागत की 50 फीसदी धनराशि मिल चुकी है।