लखनऊ। जिला कारागार के अस्पताल में रविवार देर शाम एक बंदी ने शर्ट का फंदा बना फांसी लगाकर जान दे दी। सोमवार को पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम कराया। सूचना पर पहुंचे परिजनों को शव सुपुर्द कर दिया। जेल के भीतर इस तरह से खुदकुशी की घटना जेल प्रशासन की बड़ी लापरवाही उजागर करती है।

उन्नाव के औरास चकहयान निवासी अजय कुमार (34) हत्या के प्रयास के मामले में गिरफ्तार हुआ था। आठ जुलाई को वह जिला कारागार में भेजा गया था। जेलर राजेंद्र सिंह ने बताया कि अजय बहुत गुमसुम रहता था। कुछ दिन पहले रात में अचानक से उसकी तबीयत बिगड़ गई। वह अजीबोगरीब बात करने लगा। समझाने पर उग्र होने लगा। इसके बाद उसे जेल अस्पताल में भर्ती किया गया। मनोचिकित्सक से उसका इलाज चल रहा था। रविवार शाम को जेल अस्पताल की एकल बैरक में अजय ने फांसी लगा ली गई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हैंगिंग की पुष्टि हुई है। सिर पर पीछे एक मामूली चोट भी थी। आशंका है कि फंदे से उतारते वक्त वह दीवार या जमीन से टकरा गया। डॉक्टरों ने विसरा भी सुरक्षित किया है।

आखिर कहां थे सुरक्षाकर्मी

अजय की खुदकुशी का मामला जेल प्रशासन की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़ा करता है। सवाल यह कि जब अजय ने फंदा बनाकर फांसी लगाई तो सुरक्षाकर्मी क्या कर रहे थे? अगर वे मौके पर मौजूद नहीं थे तो ये बेहद गंभीर मसला है।



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