42 साल रही दिक्कत, एम्स के डॉक्टरों की टीम ने 40 मिनट में की ओपेन हॉर्ट सर्जरी

फोटो संख्या 20

संवाद न्यूज एजेंसी

रायबरेली। 42 साल तक महिला के दिल में छेद रहा। सांस लेने की समस्या हुई तो वह अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के कार्डियोलॉजी विभाग में आई तो जांच में इसकी पुष्टि हुई। शनिवार को इंटरवेंशन कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. अंकित गुप्ता की टीम ने करीब 40 मिनट में ही ओपेन हार्ट सर्जरी करके महिला के दिल के छेद पर डिवाइस क्लोजर (जाली) लगाकर बंद कर दिया। ऑपरेशन में न महिला को बेहोश किया और न ही चीर-फाड़ किया गया। रविवार को महिला डिस्चार्ज भी कर दी जाएगी। इस सर्जरी की प्रक्रिया को एमबीबीएस छात्र-छात्राओं को दिखाने के लिए वर्कशॉप में सजीव प्रसारण भी हुआ। वर्कशॉप में मेडिकल कॉलेज चंदीगढ़ के कॉडियोलॉजी विभाग के प्रो. जीतराम कश्यप भी शामिल हुए।

एम्स में ओपेन हॉर्ट सर्जरी बीती 23 मई से शुरू की गई है। इस सर्जरी में बिना चीड़-फाड़ किए ही मरीज का ऑपरेशन किया जाता है। इंटरवेंशन कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. अंकित गुप्ता ने बताया कि करीब डेढ़ माह पहले सांस की समस्या लेकर करीब 42 साल की महिला ओपीडी में आई। आशंका होने पर उसकी जांच कराई गई तो उसके दिल में जन्मजात मिला। महिला को ओपेन हॉर्ट सर्जरी की सलाह दी गई, जिसके बाद शनिवार को यह ऑपरेशन किया गया। इस ऑपरेशन में मरीज को बेहोश नहीं किया गया। चीड़-फाड़ भी नहीं किया गया। करीब 40 मिनट की सर्जरी में नस के माध्यम से उसके दिल के छेद पर डिवाइस क्लोजर लगाकर बंद कर दिया गया। उन्होंने बताया कि रायबरेली एम्स में उन्होंने इस तरह का ऑपरेशन पहली बार किया है। मरीज पूरी तरह से स्वस्थ है। एक दो दिन में उसे डिस्चार्ज भी कर दिया जाएगा।

इनसेट

मरीजों को मिलेगा लाभ

मेडिकल कॉलेज चंदीगढ़ के कार्डियोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. जीतराम कश्यप ने वर्कशॉप में कहा कि बड़े शहरों में इस तरह के ऑपरेशन की सुविधा पहले से ही उपलब्ध है, लेकिन छोटे शहरों में मरीजों को यह सुविधा नहीं मिल पाती है। एम्स में यह सर्जरी शुरू होने से मरीजों को बड़ा लाभ मिलेगा। वर्कशॉप में ऑपरेशन का सजीव प्रसारण दिखाकर एमबीबीएस छात्र-छात्राओं का ज्ञान बढ़ाया गया।

वर्जन

एम्स में लगातार मरीजों की सुविधाओं के लिए विशेषज्ञ सेवाएं बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं। कई ऐसी सर्जरी शुरू कराई हैं, जिसके लिए मरीजों को बड़े शहरों में जाना पड़ता था। महिला के दिल के छेद पर डिवाइस क्लोजर लगाने वाली टीम बधाई की पात्र है।

प्रो. अरविंद राजवंशी, निदेशक, एम्स



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