रायबरेली। कोरोना काल के दौरान कैंप कार्यालय में आयोजित बैठक में तत्कालीन डीएम व सीएमओ के विवाद का मामला पौने तीन साल बाद फिर गरमा गया है। शासन के आदेश पर मंडलायुक्त डॉ. रोशन जैकब ने मामले की जांच शुरू कर दी है। मंडलायुक्त के आदेश पर स्वास्थ्य विभाग के नौ अफसरों को लखनऊ बुलाकर बयान दर्ज किए गए हैं। बैठक में शामिल रहे तत्कालीन, सीडीओ, एडीएम, एसडीएम, सीओ सिटी के भी बयान दर्ज हो सकते हैं।
तत्कालीन डीएम वैभव श्रीवास्तव ने चार सितंबर 2020 को कैंप कार्यालय में स्वास्थ्य विभागक के सभी अधिकारियों को कोरोना नियंत्रण को लेकर बैठक बुलाई थी। बैठक में किसी बात को लेकर डीएम का पारा चढ़ गया था। उन्होंने पूरे स्टाफ के सामने तत्कालीन सीएमओ डॉ. संजय कुमार शर्मा को जमकर फटकार लगाई थी। हालात यहां तक हो गए थे, कि सीएमओ बैठक छोड़कर चले गए थे। रात में ही उन्होंने शासन को पत्र भेजकर इस्तीफे की पेशकश कर दी थी। पीएमएस संघ ने भी नाराजगी जताते हुए शासन को पत्र भेजकर तत्कालीन डीएम के खिलाफ जांच और कार्रवाई की मांग की थी।
विवाद के कुछ दिन बाद ही सीएमओ को हटा दिया गया था। तत्कालीन डीएम के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई। बाद में डीएम को जिले से हटाया गया। शासन स्तर पर हुई शिकायत के संबंध में मंडलायुक्त को जांच सौंपी गई है। कमिश्नर के आदेश पर लखनऊ पहुंचकर रिटायर्ड एसीएमओ डॉ. एम नारायण, एसीएमओ डॉ. राधाकृष्ण, डॉ. पीके बैसवार, डॉ. एके जैसल, डॉ. शम्स रिजवान, डॉ. शरद कुमार वर्मा, डीपीएम राकेश कुमार सिंह, डॉ. बीरबल ने बयान दर्ज कराया है। एसीएमओ डॉ. एके चौधरी बीमार होने के कारण बयान दर्ज कराने नहीं पहुंचे हैं। बैठक में शामिल रहे तत्कालीन, सीडीओ, एडीएम, एसडीएम, सीओ सिटी को भी जल्द ही बयान दर्ज कराने के लिए बुलाया जा सकता है। सीएमओ डॉ. वीरेंद्र सिंह का कहना है कि मंडलायुक्त के यहां से पत्र आया था। मामले में संबंधित अधिकारियों को बयान दर्ज कराने के लिए लखनऊ भेजा गया है।