लखनऊ। उत्तर रेलवे के आलमबाग स्थित डीजल शेड में तेल चोरी का मामला उजागर होते ही आरपीएफ के साथ विजिलेंस सक्रिय हो गई है। पांच कर्मचारी व अधिकारी जांच के दायरे में हैं, जिनसे रविवार को पूछताछ की जाएगी। जबकि शनिवार को शेड में तेल चोरी के पुराने मामलों को खंगाला गया है तथा चोरी के तरीकों को जांच एजेंसी ने समझा। मुख्य आरोपी कार्यालय अधीक्षक राजीव कुमार मिश्र को जमानत मिल गई है। पर, उनकी गतिविधियों पर भी जांच एजेंसी नजरें रखे हुए है। गुरुवार को आलमबाग डीजल शेड में जिस टैंकर को लाया गया, उसमें दो हजार लीटर से कुछ अधिक डीजल था, जिसका ऑर्डर था। इसमें से 1800 लीटर डीजल निकाल लिया गया, जबकि 200 से 215 लीटर टैंकर में छोड़ दिया गया, जिसे बाहर बेचा जाना था। इसके लिए जब डिप से टैंकर में तेल मापा गया तो उसमें यह बचा हुआ तेल पाया गया। जबकि इसे शेड में ही उतारा जाना था। मामले को लेकर मुख्य कार्यालय अधीक्षक राजीव कुमार मिश्र सहित ड्राइवर व क्लीनर आदि पर आरपीएफ एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया। राजीव कुमार मिश्र को शुक्रवार को बेल मिल गई। लेकिन आरपीएफ के रडार पर पांच रेलकर्मी व अफसर भी हैं, जिनसे रविवार को पूछताछ की जाएगी। जांच कर्मियों ने रिकॉर्ड भी खंगाले। यह भी जाना कि डीजल शेड में टैंकरों से आने वाले डीजल के लिए 7,70,000 लीटर क्षमता के टैंकर हैं। इसमें दो टैंकर 70-70 हजार लीटर क्षमता के हैं, जबकि एक टैंकर 6,30,000 लीटर क्षमता का है। इंजन की मरम्मत के लिए शेड में औसतन रोजाना करीब 20 हजार लीटर तेल की खपत होती है।

डीजल चोरी के इन मामलों को खंगाला

– डीजल शेड में तेल चोरी का खेल वैसे तो बहुत पुराना है। पर, असल खेल वर्ष 2016 के आसपास शुरू हुआ। पूर्व रेलकर्मी एके सिद्दीकी के कार्यकाल में जब शेड में ट्रकों से तेल आता था तो वह पूरा तेल नहीं निकलवाते थे, बल्कि दो-ढाई सौ लीटर तेल टैंकर में ही छोड़ देते थे, जिसे बाहर बेच दिया जाता था।

-वर्ष 2018 में दूसरा बड़ा मामला सामने आया। उस दौरान तैनात सीएलआई सीधे ड्राइवर से संपर्क कर तेल टैंकर आने से पहले ही चार से पांच सौ लीटर तेल बाहर निकलवाकर बिकवा देते थे।

-28 जुलाई, 2021 में सीएलआई बीएस मीणा द्वारा पूरा तेल टैंकर पार करने का मामला उजागर हुआ था। आरपीएफ व विजिलेंस की टीम ने इन मामलों की मॉडस ऑपरेंडी को भी देखा, साथ ही शेड के रिकॉर्डों को भी जांचा।

ऐसे भी होता रहा है तेल का खेल

डीजल शेड के एक अधिकारी ने बताया कि जब शेड में इंजन मरम्मत के लिए आता है तो सबसे पहले एयर वॉशिंग होती है। फिर जेई इंजन का निरीक्षण करता है, जिसके बाद आरडीआई में इंजन जाता है, जहां डीजल भरा जाता है। ड्राइवर के पास ट्रिप राशन कार्ड होता है, जिसमें वह भरे गए डीजल को दर्ज करता है। यहां पर भी तेल का खेल होता था। मसलन, एक इंजन में अगर डेढ़ हजार लीटर तेल है और उसमें आरडीआई में तीन हजार लीटर भरा जा रहा है तो कुल 4500 लीटर तेल होना चाहिए। पर, इतना नहीं रहता था। चार से पांच सौ लीटर कम तेल ही डाला जाता था। इसके बाद इंजन शंटर के पास जाता तो कार्ड में वह असल तेल दर्ज कर देता और मरम्मत के बाद इंजन ले जाने वाला ड्राइवर तेल को मापकर ट्रिप राशन कार्ड पर भर देता है। ऐसे में ट्रिप राशन कार्ड, लेजर व शंटर के रिकॉर्ड मिलाने पर खेल उजागर हुए।

4 घंटे चला इंजन, 8 घंटे दर्ज!

डीजल शेड में जब इंजन की मरम्मत होती है तो जरूरत के मुताबिक उसे ऑन कर छोड़ दिया जाता है, ताकि खामी होने पर पता लग सके। मरम्मत के बाद अगर इंजन को चार घंटे ऑन रखा गया तो कागजों में उसे आठ से दस घंटे ऑन दिखाकर तेल का खेल किया जाता है। ऐसे ही इंजनों में कम तेल भरकर कागजों पर पूरा भरने का ब्यौरा दर्ज होता है।



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