रायबरेली। जिला अस्पताल में ब्लड कंपोनेंट सेपरेशन यूनिट लगभग तैयार हो गई है। शासन से मिलीं मशीनों को इंस्टाल करा दिया गया है। अब डीप फ्रीजर सहित कई जरूरी उपकरणों का इंतजार है। इन उपकरणों के आते ही मरीजों को ब्लड के कंपोनेंट मिलने शुरू हो जाएंगे। कंपोनेंट सेपरेशन यूनिट में ब्लड से प्लाज्मा और प्लेटलेट्स आदि कंपोनेंट निकाले जा सकेंगे।

जिला अस्पताल के ब्लड बैंक की क्षमता 350 यूनिट ब्लड रखने की है। औसतन प्रतिदिन 20-30 यूनिट ब्लड की यहां खपत होती है। सरकारी अस्पतालों में अब तक ब्लड कंपोनेंट सेपरेशन यूनिट न होने के कारण एक यूनिट ब्लड एक ही मरीज के ही काम आता है। इसके साथ ही प्लेटलेट्स और प्लाज्मा आदि कंपोनेंट की सुविधा नहीं होने से मरीजों को इलाज के लिए भटकना पड़ता है। घायलों और सिजेरियन केस में पीड़ितों को ब्लड चढ़ाने की जरूरत पड़ती है। वहीं, डेंगू, आग से जलने आदि कई मामलों में मरीजों को सिर्फ ब्लड के सहयोगी तत्व चढ़ाने की जरूरत होती है।

शासन से यूनिट की स्थापना के लिए मशीनें आई हैं। अब तक इंक्वेटो, इंसेनेरेटर, लैमिनर फ्लोमीटर, सेंट्री फ्लू मशीन, पैनल्ड आदि मशीनों को यूनिट में इंस्टाल करा दिया गया है। यूनिट के लिए डीप फ्रीजर बहुत जरूरी है, क्योंकि ब्लड के कंपोनेंट को तुरंत डीप फ्रीजर में न रखने से वे खराब हो सकते हैं। डीप फ्रीजर सहित अन्य उपकरणों की डिमांड भेजी गई है। जल्द ही उपकरण मिलने की उम्मीद है।

रक्त में चार कंपोनेंट होते हैं। इनमें रेड ब्लड सेल (आरबीसी), प्लाज्मा, प्लेटलेट्स और क्रायोप्रेसीपिटेट शामिल हैं। सेपरेशन यूनिट में रक्त की परत दर परत को अलग किया जाता है। इसके बाद आरबीसी, प्लाज्मा, प्लेटलेट्स और क्रायोप्रेसीपिटेट अलग-अलग हो जाते हैं। निकाले गए रक्त के प्रत्येक तत्व की अलग-अलग जीवन अवधि होती है। एक यूनिट रक्त से तीन से चार लोगों की जरूरत पूरी कर सकती है।

इनसेट

ब्लड सेपरेशन यूनिट पर ब्लड के कंपोनेंट के दो पाउच बनाए जाएंगे। बड़े मरीजों के लिए 300 एमएल और बच्चों के लिए 150 एमएल के पाउच बनाए जाएंगे। इसकी मशीनें इंस्टाल हो चुकी हैं। दो तरह के पाउच बनने से कंपोनेंट खराब नहीं होंगे। मरीजों के जरूरत के हिसाब से उपलब्ध हो जाएंगे।



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