जिला अस्पताल को सुचारु आपूर्ति न मिलने से प्रभावित हो रहीं स्वास्थ्य सेवाएं

पांच माह में अफसर नहीं ठीक कर पाए मीटर बॉक्स, उपभोक्ता भी होते परेशान

संवाद न्यूज एजेंसी

रायबरेली। जिला अस्पताल के लिए बना स्वतंत्र फीडर शोपीश बनकर रह गया है। पावर कॉर्पोरेशन के अधिकारियों की अंधेरगर्दी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पांच माह में बिजली की लाइन ठीक नहीं हो पाई है। निर्बाध बिजली आपूर्ति न होने की वजह से जिला अस्पताल की न सिर्फ हर दिन स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित होती हैं, बल्कि मरीजों को गर्मी में परेशान होना पड़ता है। यही नहीं जिला अस्पताल को दूसरे उपकेंद्र से बिजली आपूर्ति करने से उपभोक्ताओं को भी बिजली संकट से जूझना पड़ रहा है।

जिला अस्पताल को भरपूर बिजली आपूर्ति करने के लिए 132 ट्रांसमिशन त्रिपुला से जिला चिकित्सालय तक पांच किलोमीटर 33 केवी अंडरग्राउंड नई लाइन का निर्माण कराया गया था। जिला अस्पताल में विद्युत उपकेंद्र का निर्माण हुआ। इस पर तीन करोड़ रुपये खर्च किए गए। लगभग 10 साल पहले जिला अस्पताल को अलग फीडर से बिजली मिलना शुरू हुई। कुछ दिनों तक आपूर्ति ठीकठाक मिली, लेकिन कुछ दिन बाद अंडरग्राउंड लाइन में खराबी आ गई। इसके बाद आपूर्ति ठप हो गई। पावर कॉर्पोरेशन के अभियंताओं ने फॉल्ट खोजने में कई साल बिता दिए, लेकिन अंडरग्राउंड केबल का फॉल्ट नहीं मिला।

करीब चार साल तक आपूर्ति ठप रही। इसके बाद महानंदपुर के पास ओवरहेड लाइन बनाई गई। इस लाइन को बनाने में अस्पताल की तरफ से 12 लाख रुपये पावर कॉर्पोरेशन को दिए गए थे। पांच महीने पहले लाइन से आपूर्ति तो शुरू हो गई, लेकिन जिला अस्पताल में उपकेंद्र के पास लगे मीटर बाॅक्स में खराबी होने के कारण अब तक आपूर्ति शुरू नहीं हो पाई। इससे एक्स-रे, सीटी स्कैन जांच समेत अन्य कार्य प्रभावित रहते हैं। अस्पताल प्रशासन का दावा है कि जेनरेटर चलता है, लेकिन इससे अस्पताल की स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह से नहीं चल पाती हैं।

इंदिरा नगर के आरडीए फीडर से चल रही बिजली आपूर्ति

जिला अस्पताल के स्वतंत्र फीडर से बिजली नहीं मिलने की वजह से इंदिरा नगर विद्युत उपकेंद्र से निकले आरडीए फीडर से जोड़कर बिजली आपूर्ति की जा रही है। जिला अस्पताल के लोड के अलावा इसी फीडर से करीब 800 से ज्यादा बिजली कनेक्शन हैं। फीडर के तार जर्जर होने के कारण आए दिन फॉल्ट बना रहता है। इससे आम उपभोक्ताओं को भी परेशानी झेलनी पड़ रही है।

अफसरों की नाकामी से बिजली संकट से जूझ रहे उपभोक्ता

शहर में जर्जर तारों का मकड़जाल फैला है। इससे उपभोक्ताओं को भरपूर बिजली नहीं मिल रही है। जिला विद्युत कमेटी के पूर्व सदस्य शरद मेहरोत्रा ने कहा कि करोड़ों रुपये से बने विद्युत उपकेंद्र के नहीं चलने से स्वास्थ्य विभाग के साथ-साथ पावर कॉर्पोरेशन के अभियंता जिम्मेदार हैं, क्योंकि विद्युत उपकेंद्र निर्माण के लिए धन स्वास्थ्य विभाग ने दिया। अब दोनों विभाग चुप्पी साधे बैठे हैं। इसका खामियाजा उपभोक्ताओं को चुकाना पड़ रहा है। इस पूरे मामले की जांच होनी चाहिए।

अगले सप्ताह तक चालू हो जाएगा स्वतंत्र फीडर

मौजूदा समय में इंदिरा नगर उपकेंद्र के आरडीए फीडर से जिला अस्पताल को बराबर बिजली मिल रही है। जिला अस्पताल की 33 केवी लाइन से आपूर्ति चल रही है। मीटर बाक्स में कुछ दिक्कत हैं, जिसे ठीक कराने के बाद अगले सप्ताह से स्वतंत्र फीडर से अस्पताल को बिजली मिलने लगेगी। -आनंद कुमार वर्मा, अधिशासी अभियंता विद्युत वितरण खंड प्रथम

मरीजों को बेहतर इलाज देने का होता प्रयास

स्वतंत्र फीडर से अस्पताल को बिजली आपूर्ति न होने के चलते जनरेटर चालू कराने के लिए प्रति माह ढाई लाख रुपये का डीजल खर्च होता है। प्रयास रहता है कि बिजली कटौती होने पर स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित न हो और बेहतर तरीके से मरीजों का इलाज हो सके। -डॉ. महेंद्र मौर्या, सीएमएस, जिला अस्पताल



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