रायबरेली। बारिश नेे न सिर्फ शहर की ढाई लाख आबादी को बेहाल कर दिया है, बल्कि जलभराव से राहत दिलाने के लिए नगर पालिका के दावों की पोल भी खोल दी है। हकीकत यह है कि आधा घंटे की बारिश में हर तरफ जलभराव हो जाता है। यदि दो घंटे मूसलाधार बारिश हो जाए तो पूरा शहर ही डूब जाएगा। यह सुनने में जरूर अटपटा लगता है, लेकिन जलभराव की समस्या देखकर यही स्थिति बनी हुई है। लो लाइन एरिया घोषित किए गए आठ मोहल्लों में सबसे ज्यादा गंभीर समस्या है, जहां पर पानी निकासी के इंतजाम ही नहीं हैं और लोग जलभराव से जूझ रहे हैं।

नगर पालिका परिषद रायबरेली में रहने वाली जनता को जलभराव से राहत आज तक नहीं मिल पाई है। हर बार बारिश का मौसम आता है। लोग जलभराव से जूझते हैं। अधिकारी जलभराव से राहत दिलाने का वादा करते हैं, लेकिन यह सब कागजों तक सीमित हो जाता है। इस बार भी हालात कुछ ऐेसे ही हैं। 30 जून से शुरू हुई बारिश हर दिन रुक-रुककर हो रही है। ऐसे में वैसे तो शहर के 34 वार्डों में जलभराव की समस्या है, लेकिन कुछ ऐसे मोहल्ले हैं, जहां पर जलभराव होने से लोगों का घर से निकलना दुश्वार है। यह सब आधे-एक घंटे की बारिश में हो रहा है। अंदाजा लगाइए दो घंटे मूसलाधार बारिश हो जाए तो शहर ही डूब जाएगा। सोनिया नगर, घसियारी मंडी, फातिमा कॉलोनी, छजलापुर, लखपति नगर, देवानंदपुर, तुलसी नगर समेत आठ मोहल्लों सबसे ज्यादा जलभराव से प्रभावित हैं। पालिका ने इन मोहल्लों को लो लाइन एरिया के रूप में चिन्हित किया। इन मोहल्लों में पानी निकासी के लिए नालियां तक नहीं बनी हैं। जो नालियां बनी हैं, वह पटी पड़़ी हैं। ऐसे में लोग जलभराव से जूझ रहे हैं।

छजलापुर निवासी सुधांशु सिंह, विजय द्विवेदी कहते हैं कि 12 साल से मोहल्ले में जलभराव की समस्या है, लेकिन उनकी व्यथा सुनने और देखने वाला कोई नहीं है। पानी निकासी के लिए आज तक नाला नहीं बन पाया है। इस वजह से परेशानी झेलनी पड़ रही है।

फातिमा नगर कॉलोनी निवासी असगर रायनी, कामरान रियाज अंसारी कहते हैं कि आठ साल से जलभराव की समस्या से परेशान होना पड़ रहा है। सीवर लाइन की खुदाई के बाद समस्या और बढ़ गई है। हर बार यही कहा जाता है कि जलभराव से राहत मिल जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। हल्की बारिश में ही घरों तक पानी घुस जाता है।

अयोध्यापुरी की रहने वाले नीरज शुक्ला, सोनिया नगर के रहने वाले शालू कहते हैं कि जब से मोहल्ले में बसा हूं, तब से जलभराव की समस्या चली आ रही है। पानी निकासी के इंतजाम नहीं किए जा रहे हैं। इससे परेशानी झेलनी पड़ रही है। घर से निकलना मुश्किल है।



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