लखनऊ। डाॅ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय में रविवार को राज्य स्तरीय पुरस्कार समारोह में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ऐसे दस दिव्यांगजनों को सम्मानित किया जिन्हाेंने नि:स्वार्थ भाव से जनता की सेवा की। किसी ने प्रशासनिक सेवा में रहते हुए भी सामाजिक सरोकार में अपना योगदान दिया तो किसी ने दिव्यांगता को मात देकर खेल जगत में अपनी पहचान बनाई। किसी ने शिक्षा के क्षेत्र में खुद को स्थापित किया।

गाजियाबाद जिले के निवासी प्रदीप कुमार को सर्वश्रेष्ठ दिव्यांग खिलाड़ी के लिए सीएम ने सम्मानित किया। उन्होंने एक दुर्घटना के दौरान 20 साल की उम्र में अपने दोनों पैर खो दिए थे। करीब 14 साल तक बेड पर रहने के दौरान उन्होंने कई तरह की परेशानियों का सामना किया। प्रदीप ने बताया कि दोनों पैर से दिव्यांग होने की वजह से किसी तरह के काम करने में सक्षम नहीं थे, लेकिन हिम्मत नहीं हारी। गांव में खेल का मैदान न होने से 80 किमी. दूर शहर में एक मैदान में गोला फेंक, डिस्कस थ्रो और जेवलिन में हाथ आजमाया। कड़ी मेहनत और लगन की वजह से आज यहां तक पहुंच पाया हूं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री का आभार प्रकट करना चाहता हूं जिन्होंने इस काबिल समझा और राज्य स्तरीय पुरस्कार से मुझे सम्मानित किया।

समाज को जागरूक कर रहे पीयूष

मेरठ निवासी पीयूष गोयल को मुख्यमंत्री ने प्रेरणा स्रोत के लिए सम्मानित किया। पीयूष व उनके भाई आयुष दोनों मिलकर पर्यावरण व स्वच्छता क्लब चलाते हैं। इसके जरिए लोगों की मदद करते हैं। मतदाता जागरूकता के अलावा सामाजिक जागरूकता के लिए काम करते हैं। पीयूष ने दोनों पैर से 60 फीसदी दिव्यांग होने के बाद भी खुद को कभी कमजोर नहीं होने दिया और सामाजिक गतिविधियों के जरिए लोगों को जागरूक करते रहते हैं।

कोरोना काल में मददगार बनीं नसीमा

प्रयागराज निवासी नसीमा बेगम को प्रेरणास्रोत के लिए मुख्यमंत्री ने सम्मानित किया। नसीमा न तो बोल पाती हैं और न ही सुन पाती हैं, इसके बावजूद सामाजिक कार्यों के लिए हर समय आगे रहती हैं। नसीमा ने पति इरशादउल्ला ने बताया कि कोरोना काल में जब लोग अपने घरों में कैद थे, तब फुटपाथ पर रहने वालों की मदद के लिए नसीमा आगे आईं।

उमेश की ख्वाहिश सिविल सेवा में जाने की

गोरखपुर के स्पर्श राजकीय दृष्टिबाधित बालक इंटर काॅलेज छात्र उमेश चंद्र को हाईस्कूल में 90 फीसदी अंक लाने पर मुख्यमंत्री ने सम्मानित किया। उमेश देख नहीं पाते हैं लेकिन सिविल सेवा के जरिए समाज की सेवा करने का ख्वाब जरूर देख रहे हैं। उमेश ने बताया कि पिता किसानी करते हैं। आर्थिक रूप से कमजोर हैं लेकिन पिता पढ़ाने के लिए आगे रहते हैं। पिता का भी सपना है कि मैं आईएएस की तैयारी करूं ताकि सिविल सेवा के साथ जुड़कर दिव्यांग लोगों की मदद कर सकूं।

मुख्यमंत्री ने इन दस लोगों को किया सम्मानित

सुनील कुमार वर्मा (गोंडा) को सर्वश्रेष्ठ कर्मचारी के लिए तो वहीं पायल कश्यप (शामली), पीयूष गोयल (मेरठ) व नसीमा बेगम (प्रयागराज) को प्रेरणास्रोत के लिए, रामपुर के जिलाधिकारी को पुनर्वास सेवाओं के लिए, साराह मोईन (लखनऊ) को सर्वश्रेष्ठ सृजनशीलता के लिए, प्रदीप कुमार (गाजियाबाद) को सर्वश्रेष्ठ दिव्यांग खिलाड़ी के लिए, उमेश चंद्र (गोरखपुर) को हाईस्कूल में 90 फीसदी अंक लाने के लिए और व मेरठ निवासी सौरभ कुमार को हाईस्कूल में 85 फीसदी अंक लाने पर मुख्यमंत्री ने सम्मानित किया।



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