लखनऊ। गैंगस्टर जीवा को गोलियों से भूनने वाले शूटर विजय की नेपाल में डॉन बदन सिंह बद्दो से मुलाकात भी हुई थी। जिस गुर्गे ने पहले विजय से मिलकर सुपारी दी थी, उसी ने ये मुलाकात कराई थी।

तब बद्दो ने विजय से कहा था कि उसके जेल जाने के बाद केस लड़ने का पूरा खर्च वही लोग उठाएंगे। यहां तक कि परिवार का खर्च भी जीवनभर देंगे। जानकारी के मुताबिक, बद्दो असल नाम बताकर नहीं मिला था।

सूत्रों के मुताबिक, सुपारी देने वाले गुर्गे ने कई बार विजय से मुलाकात की थी। बीस लाख में सुपारी दी थी। जिस दिन हत्या हुई, एक गुर्गे ने वकील की ड्रेस भी उसे दी थी।

परिवर्तन चौक के पास सार्वजनिक शौचालय में विजय ने कपड़े बदले थे। बहराइच से लखनऊ पहुंचने की बात भी सही साबित हुई है। करीब एक साल से बद्दो और उसके गुर्गे जीवा की हत्या की साजिश रच रहे थे।

कई गुर्गे महीनों तक लखनऊ में डेरा डाले रहे। कोर्ट में वकील बनकर भी गए, जिन्होंने जीवा के केसों से संबंधित सभी जानकारियां निकालीं। इससे पता चला कि किस केस में उसकी कब-कब पेशी है।

वह किस तरह से आता है। सुरक्षा व्यवस्था कितनी रहती है। ये सभी डिटेल विजय को उसी गुर्गे ने मुहैया कराई थी। एक बार कोर्ट में ले जाकर रेकी भी कराई थी।

जज को लिखे पत्र से हुआ खुलासा

सूत्रों के मुताबिक जीवा के अधिवक्ता के पास से एक अहम पत्र मिला था। जो एक जज को दिया गया था, जिसमें कुछ महीने पहले जीवा की तरफ से लिखा गया था। दावा किया गया था कि बदन सिंह बद्दो उसकी हत्या कराने की साजिश रच रहा है। उसकी जान को खतरा है। यही नहीं, कुख्यात सुशील मूंछ का भी जिक्र था। उससे भी खतरा बताया गया था। दोनों ही जीवा को रास्ते से हटाना चाहते थे। जांच में बदन सिंह बद्दो के खिलाफ साक्ष्य मिले हैं। इससे पूरी साजिश का खुलासा हो गया।

वसूली के लिए लगवाई थी फिजिकल पेशी

सूत्रों के मुताबिक विवेचना में सामने आया कि अमूमन जीवा की पेशी वीडियो कॉल पर होती थी। लेकिन, उस दौरान फिजिकल पेशी होती थी। जीवा ने खुद फिजिकल पेशी लगवाई थी। उसका मकसद रहता था कि जब वह पेशी पर आएगा तो अपने लोगों से मिल लेगा और वसूली कर सकेगा। वहीं बुलेट प्रूफ जैकेट न पहनने का निर्णय खुद जीवा का था। गर्मी की वजह से उसने जैकेट उतार दी थी।

सुरक्षा व्यवस्था की थी नाकामी, खराब थे कैमरे, गेट नंबर-7 दाखिल हुआ था शूटर

जांच के लिए एडीजी मोहित अग्रवाल के नेतृत्व में एसआईटी का गठन किया गया था, जिसमें आईजी अयोध्या रेंज प्रवीण कुमार व ज्वाॅइंट सीपी मुख्यालय भी शामिल थे। एसआईटी की निगरानी में केस की विवेचना हुई। एसआईटी ने लापरवाही के पहलू पर भी जांच की। सूत्रों के मुताबिक एसआईटी ने कोर्ट परिसर की सुरक्षा व्यवस्था की नाकामी को बड़ी वजह बताया है। कोर्ट परिसर के कैमरे खराब मिले। जांच में ये भी सामने आया कि गेट नंबर-7 से शूटर विजय दाखिल हुआ था। सूत्रों ने बताया कि कई जिम्मेदार पुलिस अफसरों को इसमें दोषी बनाया गया है। इससे संबंधित रिपोर्ट शासन को भेजी है। इन अफसरों की विभागीय जांच भी हो सकती है।



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