रायबरेली। जिले में परिषदीय विद्यालयों की हालत सुधारने के नाम पर आपरेशन कायाकल्प चल रहा है, लेकिन अभी भी विद्यालयों की दशा पूरी तरह नहीं सुधर पाई है। जिले के करीब 20 फीसदी स्कूलों में बाउंड्रीवाल ही नहीं बनी है। इससे विद्यालय भवन की सुरक्षा नहीं हो पाती है। स्कूल बंद होने के बाद अराजक तत्वों का जमावड़ा लग जाता है। स्कूल चलता है तो छुट्टा मवेशी मंडराते रहते हैं। इससे बच्चों के लिए खतरा उत्पन्न होता है। साफ-सफाई नहीं हो पाती है। विद्यालय परिसर में हर तरफ गंदगी रहती है।
जिले में 2301 परिषदीय विद्यालय संचालित हैं, जहां ढाई लाख बच्चे पढ़ते हैं। इनमें से 1853 में ही मुख्य गेट सहित बाउंड्रीवाल बनी है। बाकी 448 विद्यालयों में चारदीवारी नहीं बनवाई गई है, जिससे गेट भी नहीं लग पाया है। चारदीवारी न होने से विद्यालय परिसर की सुरक्षा रामभरोसे रहती हैं। बच्चे भी अक्सर विद्यालय से बाहर घूमते रहते हैं। विद्यालय परिसर में गंदगी रहती है तो जमीन भी ऊबड़-खाबड़ है, जिससे बच्चे खेलकूद का आनंद नहीं ले पाते हैं। परिषदीय विद्यालयों को आपरेशन कायाकल्प के तहत संवारने और सुविधाओं के लैस किए जाने का काम चल रहा है, लेकिन सभी विद्यालयों को गेट सहित बाउंड्रीवाल नहीं मिल सका है। कायाकल्प के 19 बिंदुओं में एक बिंदु गेट सहित बाउंड्रीवाल भी शामिल है, जिस पर खास तवज्जो नहीं दी जाती है।
परिषदीय विद्यालयों में चारदीवारी की व्यवस्था मनरेगा योजना से भी कराई जाएगी। इसके लिए प्रयास चल रहा है। विभागीय सूत्रों की माने तो मनरेगा योजना के तहत वित्तीय वर्ष 2023-24 में 180 बाउंड्रीवाल बनाने का लक्ष्य है। इसमें से 132 स्कूल चिन्हित हो चुके हैं, बाकी स्कूलों का चयन हो रहा है। सभी खंड विकास अधिकारियों से बाउंड्रीवाल बनवाने का लक्ष्य पूरा करने को कहा गया है। उधर, बेसिक शिक्षा विभाग के जिला समन्वयक (निर्माण) सत्यम वर्मा ने बताया कि मनरेगा से कितने विद्यालयों में बाउंड्रीवाल बनवाई जाएगी, इस बारे में कोई जानकारी नहीं मिली है। बीएसए शिवेंद्र प्रताप सिंह का कहना है कि सभी विद्यालयों में कायाकल्प के तहत 19 बिंदुओं पर शत-प्रतिशत कार्य कराने का प्रयास चल रहा है।