महोली (सीतापुर)। खेत में गन्ने की फसल खड़ी है…। खाद लगाना बहुत जरूरी है, वरना पैदावार अच्छी नहीं होगी। लेकिन क्या करें? खेत नदी की तलहटी में है। वहां बाघ का आना- जाना लगा हुआ है। अगर जान रहेगी तो फसल फिर उग जाएगी। यह कहना है कोल्हौरा गांव के किसान बदलू का। वह क्षेत्र में बाघ की चहलकदमी से डरे हुए हैं। सिर्फ बदलू ही नहीं बल्कि पूरे गांव का यही हाल है। जिसे देखो वह झुंड बनाकर खेतों की तरफ जा रहा है।
करीब एक माह के बाद महोली क्षेत्र के कोल्हौरा गांव में बाघ के पगचिह्न फिर से देखे गए हैं। बाघ ने गांव के ही श्रीराम की गाय को निवाला बना लिया था। वन विभाग ने कांबिंग के बाद क्षेत्र में बाघ होने की पुष्टि की है। इसके बाद से ग्रामीणों की नींद हराम है। क्योंकि उनका मानना है कि रात के समय बाघ उनके गांवों में भी आ सकता है। 24 घंटे बीत जाने के बाद भी वन विभाग बाघ की कोई लोकेशन ट्रेस नहीं कर पाया है।
बिना संसाधन कैसे पकड़ में आए जानवर
ग्रामीणों का आरोप है कि विभाग कांबिंग किए जाने का हवाला देकर बिना संसाधनों के बाघ तलाशने की बात कह रहा है। वन रेंजर केएन भार्गव ने बताया कि कांबिंग की जा रही है। नए पगचिह्न नहीं मिले हैं। लोगों को सतर्क रहने के लिए कहा गया है।
10 गांवों में फैली दहशत
बाघ की दहशत सिर्फ कोल्हौरा में ही नहीं, बल्कि आसपास के 10 गांवों में फैली हुई है। इसकी एक अन्य वजह यह भी है कि कोल्हौरा के पास ही श्यामजीरा और अमिरता गांव हैं। जहां एक माह पहले ही बाघ दिखा था। इसके अलावा कठिना नदी की तलहटी के पास बसे रुस्तम नगर, जहांसापुर, नरनी, कटिघरा आदि गांव में भी किसान खेतों की तरफ जाने से डर रहे हैं।
दिन से ज्यादा रात भारी, खुद कर रहे रखवाली
दिन से ज्यादा किसानों के लिए रात भारी हो गई है। बाघ भले ही गांव की ओर रूख न करता हो फिर भी ग्रामीण रात में भी डंडा लेकर झुंड में निकलते हैं। पवन कुमार ने बताया कि अधिकतर ग्रामीणों के पशु बाड़े में बंधे हुए हैं। लोग नदी की तलहटी में अपने पशुओं को चराने ले जाते थे, जिससे उन्हें हरा चारा व पानी मिल जाता था। लेकिन 24 घंटे से पालतू मवेशी बाड़े में ही बंद हैं। इसलिए उनकी रखवाली रात में जगकर करनी पड़ रही है।
धान रोपाई केे लिए नहीं मिल रहे मजदूर
किसान धनीराम ने बताया कि बाघ की दहशत इस कदर हावी है कि धान की रोपाई के लिए मजदूर नहीं मिल रहे हैं। बारिश होने के बाद खेतों में अच्छा पानी भर गया है। धान की पौध भी तैयार हो गई है, लेकिन अब उसकी रोपाई न हो पाने से फसल की पैदावार पर असर पड़ेगा। केदारी लाल ने बताया कि अन्य कृषि कार्य के लिए भी मजदूर नहीं मिल रहे हैं।