
रायबरेली में रविवार को भोजपुर स्थित आटा चक्की कारखाने में रखी गेहूं की बोरियां। -संवाद
400 मेगावाट की तुलना में मिल रही 350 मेगावाट बिजली, लाइनों में फॉल्ट बन रहा रोडा
आटाचक्की, राइसमिल कारखानों पर डंप बोरियां, किसान नहीं कर पा रहे धान की सिंचाई
संवाद न्यूज एजेंसी
रायबरेली। जिले में खपत के सापेक्ष बिजली नहीं मिलने से हाहाकार मचा है। अब तो उपभोक्ता सड़कों पर उतरना भी शुरू कर दिए हैं। छोटे उपभोक्ताओं से लेकर औद्योगिक क्षेत्र में बिजली कटौती का खासा असर पड़ रहा है। अघोषित बिजली कटौती से लोग परेशान हैं। 21 हजार किसानों के निजी नलकूप क्षमता से नहीं चल पा रहे हैं। इस वजह से धान की फसल सूख रही है। वहीं राइसमिल और आटाचक्की कारखाना पर कुटाई का काम प्रभावित है।
रात में होने वाली अघोषित कटौती से लोगों की नींद हराम है। मौजूदा समय में 400 मेगावाट की तुलना में 350 मेगावाट के आसपास बिजली मिल रही है। इसके अलावा लाइनों में फॉल्ट की वजह से आए दिन कहीं न कहीं बिजली गुल रहती है।
जिले में पांच लाख से अधिक बिजली उपभोक्ता हैं। इसमें 21 हजार नलकूप कनेक्शन, जबकि करीब 15 हजार औद्योगिक कनेक्शन हैं। इसमें आटाचक्की, राइस मिल, कोल्ड स्टोर समेत अन्य छोटे बड़े उद्योग शामिल हैं। गर्मी और उमस के साथ-साथ किसान धान की सिंचाई भी बिजली के सहारे कर रहे हैं। भरपूर बिजली नहीं मिलने से कारोबार प्रभावित हो रहा है। राइसमिल और आटा चक्की कारखाने नहीं चलने की वजह से कारोबार प्रभावित हो रहा है।
54 विद्युत उपकेंद्रों की लाइनों के तार जर्जर
जिले में 54 विद्युत उपकेंद्र हैं। इन विद्युत उपकेंद्रों को ट्रांसमिशन से जोड़ने के लिए बनाई गई 33 केवी लाइनें जर्जर हैं। यही वजह है कि आए दिन कहीं न कहीं तार टूटने से बिजली गुल रहती है। वैसे जर्जर तारों को बदलने के लिए रिवैंप योजना शुरू की गई है, लेकिन काम धीमी गति से चलने की वजह से उपभोक्ताओं को राहत नहीं मिल पा रही है। बिजली की मांग बढ़ने के साथ ही फॉल्ट भी अधिक हो रहे हैं। इससे बिजली की आवाजाही लगी रहती है। रविवार को तड़के भुएमऊ विद्युत उपकेंद्र को जोड़ने वाली 33 केवी लाइन का तार चकपालो गांव के पास टूट गया। इससे पांच घंटे बिजली गुल रही। इससे 140 गांवों की 50 हजार आबादी को बिजली संकट से जूझना पड़ा। सुबह नौ बजे बिजली आने पर लोगों ने राहत की सांस ली।
बिजली बिल जमा करने के बावजूद चलाना पड़ता जनरेटर
छतोह में राइसमिल है। हर माह पांच हजार रुपये बिजली का बिल जमा करना पड़ रहा है। मौजूदा समय में महज चार से पांच घंटे बिजली मिल रही है। इस वजह से राइस मिल नहीं चल पा रही है। जनरेटर चलाकर राइसमिल चलाना पड़ रहा है। इसके लिए हर महीने 10 हजार रुपये का डीजल खर्च हो जाता है।
-अजय कौशल, छतोह
कारखाने में डंप गेहूं की बोरिया, बिजली का इंतजार
आटाचक्की का कारखाना चलाने के लिए 10 किलोवाट का कनेक्शन लिए हैं। मौजूदा समय में बिजली पांच से छह घंटे मिल रही है। वोल्टेज भी कम रहता है। इससे मोटर फुंकने का डर बना रहता है। मौजूदा समय में 10 क्विंटल गेहूं पिसाई के लिए लगा है। बिजली के अभाव में कारोबार प्रभावित हो रहा है।
-शिवाकांत शर्मा, भोजपुर
पानी के अभाव में सूख रही फसल
पांच बीघा धान की रोपाई की है। मौजूदा समय में बिजली कटौती और रोस्टिंग की वजह से एक बीघा फसल सिंचाई करने के लिए पूरा दिन नलकूप पर बैठना पड़ता है। क्योंकि बिजली जाने पर नलकूप बंद हो जाता है। बिजली आने पर फिर चलाना पड़ता है। पूरा दिन नलकूप चलाने और बंद करने में ही बीत जाता है।
-रमाकांत तिवारी, नारायनपुर महराजगंज
अघोषित कटौती से रात की नींद हराम
ग्रामीण क्षेत्र में अधाधुंध बिजली कटौती हो रही है। 18 घंटे में महज सात से आठ घंटे बिजली मिल रही है। रात में अघोषित कटौती कर दी जाती है। इससे रात की नींद हराम हो जाती है। बिजली संकट से राहत नहीं मिल रही है। जर्जर तारों आए दिन टूट रहे हैं। इस वजह से बिजली समस्या से राहत नहीं मिल रही है।
-प्रेमशंकर, जमुरावां महराजगंज