प्रवेंद्र गुप्ता
लखनऊ। आय बढ़ाने के नाम पर दस करोड़ रुपये की लागत से कराया जा रहा गृहकर जीआईएस सर्वे शहरवासियों के लिए परेशानी का सबब बना है। वहीं बिना सुनवाई का मौका दिए ही नगर निगम और जीआईएस सर्वे करने वाली कंपनी ने 55 हजार से अधिक मकानोंं का टैक्स बढ़ा दिया, जिससे लोग परेशान हैं। इतना ही नहीं गलत सर्वे नगर निगम के भी गले की फांस बन गया है। कंपनी ने जिन 2.41 लाख मकानों में 25 प्रतिशत गृहकर बढ़ाने का कागजी दावा किया है, उसमें से 1.85 लाख मकानों का नोटिस ही फीड नहीं हुआ है। इसकी वजह से टैक्स भी फंस गया है।
सर्वे के बाद गृहकर में 25 प्रतिशत बढ़ोतरी बताकर जो 55 हजार नोटिस फीड किए गए, उसमें नियमोंं का पालन करने के बजाय एकतरफा कार्रवाई करते हुए बढ़ा हुआ टैक्स बिना भवनस्वामी की आपत्ति की सुनवाई के तय कर दिया गया। अब जिनको नए वित्तीय वर्ष में अप्रैल से नोटिस पहुंच रहे हैं, वह भवनस्वामी परेशान हैं और वह अपना टैक्स ठीक कराने के लिए दौड़ रहे हैं। ऐसे में चालू वित्तीय वर्ष में ऐसे भवनोंं से नगर निगम की टैक्स वसूली अटक गई है। यह तब है जबकि लोकसभा चुनाव को देखते हुए नगर निगम प्रशासन इस बार अगले साल मार्च के बजाय इसी साल दिसंबर तक टैक्स वसूली करने की कोशिश में है। मगर गड़बड़ियों से भरे जीआईएस सर्वे के कारण जो टैक्स आसानी से जमा होना था, वह भी नहीं जमा हो पा रहा है।
आपत्तियों पर घिरी कंपनी, जिम्मेदारी से भाग रही
मनमाने और फर्जी तरीके से किए गए सर्वे के कारण जो आपत्तियां आ रही हैं, उनको लेकर अब कंपनी की गर्दन फंस रही है। कंपनी ने पहले तो मनमाने तरीके से गृहकर बढ़ाया और फिर बिना सुनवाई एक्स पार्टी करके उसे बढ़ा भी दिया। अब आपत्तियां हुईं तो मौके पर सर्वे जांच फर्जी निकल रही है। इसके बाद अब सर्वे करने वाली कंपनी जिम्मेदारी लेने से भाग रही है। ऐसे में जांच के बाद बन रही टैक्स की सही रिपोर्ट फीड नहीं हो पा रही है। सूत्रों ने बताया कि अब कंपनी का सर्वे जब गलत साबित हो रहा था तो वह उससे बचने के लिए उन भवनोंं को फिर से नोटिस जारी करने की बात कह रही है, जिनका पहले एक्स पार्टी करके बिना सुनवाई मनमाना टैक्स बढ़ा दिया है।
अभी यह है सर्वे का हाल
गृहकर जीआईएस सर्वे का काम कंपनी को दो साल में पूरा करना था, मगर पांच साल हो गए। काम अब भी पूरा नहीं हुआ। नगर निगम के 110 वार्डों सर्वे की जो मौजूदा स्थिति है, उसमें 40 वार्ड में 75 प्रतिशत और 40 वार्ड में 50 प्रतिशत ही काम हुआ है। इतना ही नहीं जो शेष 30 वार्ड बचे हैं, उनमें अब तक शुरुआत भी नहीं की गई है। इतना ही नहीं जो सर्वे हुआ है, उसका मौकेपर सत्यापन भी नगर निगम की टीम के साथ किया जा सका है। ऐसे में जो काम हुआ वह कागजी भर है।
कार्यकाल समाप्त होने का उठाया फायदा
सर्वे में गड़बड़ी को लेकर नगर निगम सदन ने बीते साल दिसंबर में दो महीने के लिए उसे लागू करने पर रोक लगा दी थी। उसके बाद तत्काली नगर निगम सदन का कार्यकाल समाप्त हो गया। इसका फायदा उठाते हुए कंपनी और नगर निगम ने बिना भवन स्वामियोंं को नोटिस जारी किए और सुनवाई का मौका दिए बिना ही एक्स पार्टी करके टैक्स बढ़ा दिया।
किस जोन में कितने भवनों को नहीं हुए नोटिस फीड
जोन एक- 5000
जोन दो- 4800
जोन तीन-20,000
जोन चार- 46000
जोन पांच- 17500
जोन छह- 30500
जोन सात- 32400
जोन आठ- 27700