लखनऊ। याजदान बिल्डर भाइयों पर शिकंजा कसता जा रहा है। अब एलडीए ने ढहाए जा चुके अलायाह हेरिटेज अपार्टमेंट के मामले में याजदान भाइयों समेत आठ पर हजरतगंज थाने में एफआईआर दर्ज कराई है।
एलडीए का दावा है कि अपार्टमेंट नजूल की जमीन पर बनाया गया था। जिन पर केस दर्ज किया गया है, उसमें याजदान इन्फ्राटेक प्रालि. के चारों डायरेक्टर व जमीन बेचने वाले चार लोग शामिल हैं।
प्रागनारायण रोड स्थित अवैध अलायाह हेरिटेज अपार्टमेंट को पिछले साल दिसंबर में एलडीए ने ढहाया था। प्रकरण में एलडीए अपने स्तर से जांच कर रहा था।
मंगलवार को एलडीए के नजूल अनुभाग के अमीन आशीष मौर्या ने हजरतगंज थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई। एफआईआर के मुताबिक, विभागीय जांच में सामने आया कि अपार्टमेंट नजूल की जमीन पर बनाया गया था। याजदान बिल्डर ने इस जमीन पर पट्टेदार की मदद से अवैध रूप से खरीद-फरोख्त की थी।
इसी आधार पर याजदान इन्फ्राटेक प्रालि. के चार डायरेक्टर शराफत अली, फहद यजदानी, शायम याजदानी और अलीम चौधरी के अलावा जमीन बेचने वाले पंकज गुप्ता, रेनू जैन, मीनू गुप्ता और रीता अग्रवाल पर धोखाधड़ी, जाली दस्तावेज तैयार कर इस्तेमाल करने, नजूल की जमीन पर कब्जा करने व साजिश रचने की धारा में केस दर्ज किया गया है।
ऐसे किया गया खेल
जमीन के दस्तावेज की जांच में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। इसके अनुसार, इस भूखंड के मूल पट्टेदार ने नजूल अधिकारी की लिखित अनुमति के बिना पट्टे का विभाजन कर दिया। 1 सितंबर 1941 को अमीनुज्जमानी बेगम के पक्ष में हस्तांतरित कर दिए गए। इसका दाखिलखारिज 14 जुलाई 1944 को स्वीकृत किया गया था। नामांकित पट्टेदार ने नियमों की अनदेखी करते हुए उसको दो भागों में बांट दिया। 16 मार्च 1964 को हयातउल्ला अंसारी और 15 जून 1965 को विमला देवी गुप्ता को बेच दिया। विमला देवी की मृत्यु के बाद उनके कथित वारिस पंकज गुप्ता, रेनू जैन, मीनू गुप्ता और रीता अग्रवाल ने पट्टागत नजूल की भूमि को यजदान इन्फ्रा प्राइवेट लिमिटेड के शायम याजदानी (अधिकृत हस्ताक्षरी) के पक्ष में 8 जून 2015 को बेच दिया। जब एलडीए ने कंपनी के बारे में जानकारी जुटाई तो इसमें फाहद, शराफत व अलीम चौधरी का नाम सामने आया। इसलिए इन सभी पर केस दर्ज कराया गया।
शायम जेल में, फाहद फरार
अलायाह अपार्टमेंट में फ्लैट देने का झांसा देकर शायम ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर रवि कांत शुक्ला से ठगी की थी। मामले में वह जेल भेजा गया था। अलाया अपार्टमेंट के ढहने के केस में भी वह आरोपी है। अब एक केस और उस पर दर्ज हो गया है। उधर, आरोपी फाहद फरार है। पुलिस उस तक नहीं पहुंच सकी है। कुर्की की प्रक्रिया चल रही है। गैंगस्टर की कार्रवाई करने की तैयारी है।
कौड़ियों में खरीदी थी 60 करोड़ की जमीन
एलडीए ने नजूल की लगभग 4000 वर्ग मीटर की जिस जमीन को बिना एनओसी के बेचने व खरीदने के मामले में एफआईआर दर्ज कराई है, उसकी कीमत लगभग 60 करोड़ थी। लेकिन शायम याजदानी ने यह जमीन कौड़ियों के भाव में खरीद कर छह मंजिल तक अवैध अपार्टमेंट का निर्माण कर दिया था। पूर्व वीसी अक्षय त्रिपाठी ने 30 मार्च 2022 को पहली बार इस पर बुलडोजर चलाया। बिल्डर की सेटिंग हो गई और बुलडोजर थम गया। डॉ. इंद्रमणि त्रिपाठी ने वीसी के पद की कमान जुलाई 2023 में संभाली तो दूसरी बार अक्तूबर में बुलडोजर पहुंचा, मगर बड़ी कार्रवाई के बिना वापस हो गया। 14 नवंबर के बाद अवैध अपार्टमेंट को तोड़ने का सिलसिला शुरू हुआ तो जमींदोज होने के बाद ही बंद हुआ।
जानिएय कब-क्या हुआ
2015 एलडीए ने सशर्त दी मानचित्र को मंजूरी
2016 मानचित्र मद में जमा किए थे 75.55 लाख
2019 एलडीए ने अपार्टमेंट को तोड़ने का आदेश
2020 मानचित्र को किया निरस्त