संवाद न्यूज एजेंसी, लखनऊ
Updated Sun, 14 May 2023 12:26 AM IST
रायबरेली। शहर की सरकार में कांग्रेस ने अपना जलवा बरकरार रखते हुए पांचवीं बार जीत का स्वाद चखा। भाजपा हैट्रिक लगाने से चूक गई तो सपा चुनाव में कोई कमाल नहीं कर सकी। मतदान के बाद तीन प्रमुख दलों के बीच त्रिकोणीय मुकाबला दिख रहा था, लेकिन मतपेटियों से वोट निकले तो यह चुनाव कांग्रेस और भाजपा के बीच रहा। इसमें से कांग्रेस ने भारी अंतर से भाजपा को तकरीबन हर चरण में परास्त किया। सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र में शहरी जनता जर्नादन ने जिस तरह पंजे का एक बार फिर साथ दिया, उससे राजनीतिज्ञ भी आश्चर्यचकित हैं।
नगर पालिका परिषद रायबरेली में 1988 में निकाय चुनाव जनता से कराया जाना शुरू हुआ था। कांग्रेस प्रत्याशी मोहनलाल त्रिपाठी को जनता ने सिर आंखों पर बैठाया था और वह पहली बार अध्यक्ष की कुर्सी पर काबिज हुए। 1992 के चुनाव में भी कांग्रेस का दबदबा रहा और राघवेंद्र प्रताप सिंह अध्यक्ष चुने गए। 1995 के चुनाव में राघवेंद्र प्रताप सिंह ने पाला बदला और भाजपा से चुना लड़ा और उन्होंने जीत हासिल की। वर्ष 2000 के चुनाव में भी भाजपा से डॉ. मनोज कुमार पांडेय ने चुनाव जीता और अध्यक्ष की कुर्सी पर कब्जा किया। 2006 में राघवेंद्र प्रताप सिंह ने कांग्रेस से चुनाव लड़ा और जीत हासिल किया। वर्ष 2012 के चुनाव में सपा प्रत्याशी मो. इलियास ने चुनाव जीतने में बाजी मारी। 2017 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी पूर्णिमा श्रीवास्तव ने चुनाव जीतकर फिर कांग्रेस का दबदबा कायम किया।
वर्ष 2023 के चुनाव में कांग्रेस ने अपना गढ़ बचाने के लिए शत्रोह्न सोनकर को चुनाव मैदान में उतारा। शत्रोह्न पार्टी की कसौटी पर खरे उतरे और चुनाव जीतकर कांग्रेस के गढ़ में जीत का परचम लहराते हुए पार्टी की साख बचाए रखी। इस चुनाव में भाजपा और सपा ने भी जीत हासिल करने के लिए पूरा दमखम दिखाया। वर्ष 2017 के चुनाव में भाजपा ने विजय रस्तोगी की पत्नी सोनिया रस्तोगी का चुनाव मैदान में उतारा था, लेकिन वह चुनाव जीत नहीं पाई। वर्ष 2023 के चुनाव में भाजपा से शालिनी कनौजिया को चुनाव मैदान में उतारा गया, लेकिन पार्टी का यह दांव भी जीत नहीं दिला सका। सपा से पारसनाथ चुनाव मैदान में रहे, लेकिन वह भी जीत हासिल नहीं कर पाए।
