रायबरेली। हेलो…, मैं मूल्यांकन प्रकोष्ठ से बोल रहा हूं। बताओ स्कूल में कितना स्टाफ कार्यरत है और कितने लोग उपस्थित हैं। किस कक्षा में क्या पढ़ाया जा रहा है। कौन सी गतिविधि कराई जा रही है। टीएलएम, गणित व विज्ञान किट प्रयोग हो रही है या नहीं। कोई समस्या हो तो बताओ। इसी तरह के ढेरों सवाल ऑनलाइन निगरानी में पूछे जाएंगे। इसके लिए डायट में मूल्यांकन प्रकोष्ठ बनेगा। इस संबंध में महानिदेशक स्कूल शिक्षा का आदेश आते ही प्रकोष्ठ गठन की तैयारी शुरू कर दी गई है। दूसरी तरफ शिक्षक आक्रोश भी जताने लगे हैं।
मूल्यांकन प्रकोष्ठ का गठन जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान में किया जाएगा। प्रकोष्ठ के लिए पांच सदस्यीय टीम बनेगी, जिसमें डायट प्राचार्य, वरिष्ठ प्रवक्ता, दो प्रवक्ता (एक महिला एवं एक पुरुष), तकनीकी सहायक शामिल रहेंगे। मूल्यांकन प्रकोष्ठ की यह टीम जिलेभर के प्राथमिक, उच्च प्राथमिक, कंपोजिट विद्यालय, कस्तूरबा गांधी विद्यालयों में से किन्हीं 10 स्कूलों में रोजाना ऑनलाइन निगरानी करेगी। इसके लिए वीडियो कॉल और वाइस कॉल किया जाएगा। महानिदेशक के मुताबिक मूल्यांकन प्रकोष्ठ का उद्देश्य शिक्षकों के मध्य ऐस संवाद/संदेश स्थापित करना है, जिससे वे अपने विद्यालयों में विभिन्न गतिविधियों के नियमित एवं बेहतर संचालन में रुचि लेने लगें और सजग रहें।
कॉल रिसीव नहीं की तो होगी कार्रवाई
मूल्यांकन प्रकोष्ठ को बीएसए कार्यालय से सभी विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों, शिक्षकों, शिक्षा मित्रों, अनुदेशकों के मोबाइल नंबर की सूची उपलब्ध कराई जाएगी। यानी कि मूल्यांकन प्रकोष्ठ से किसी भी स्टाफ से वाइस कॉल करके जानकारी लेगा। वीडियो कॉलिंग करके गतिविधियों को देखा जाएगा। इसका ब्योरा एक पंजिका में अंकित किया जाएगा। अगर कोई स्टाफ अलग-अलग दिनों में तीन बार कॉल रिसीव नहीं करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। चेक लिस्ट में जितने सवाल निर्धारित हैं, उन सभी के बारे में कॉलिंग के जरिए जानकारी ली जाएगी।
आदेश निरस्त किया जाए, वरना आंदोलन
उत्तर प्रदेशीय जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष राघवेंद्र प्रताप यादव का कहना है कि वीडियो कॉलिंग या वाइस कॉलिंग के जरिए निगरानी संबंधी आदेश को लेकर शिक्षकों में आक्रोश है। इस मुद्दे को लेकर प्रदेश संगठन ने मुख्यमंत्री समेत शासन एवं विभाग के उच्चाधिकारियों को पत्र भेजकर विरोध दर्ज कराया है। प्रदेश संगठन का निर्देश मिलते ही जिले में भी विरोध दर्ज कराने के लिए आंदोलन किया जाएगा। बेसिक शिक्षकों को बिना संसाधन उपलब्ध कराए वीडियो या वाइस कॉलिंग के माध्यम से निगरानी करने का आदेश निरस्त किया जाना चाहिए।