
अंसल
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हाईकोर्ट के आदेश पर सिंचाई विभाग की जमीन पर टाउनशिप विकसित करने के मामले में अंसल एपीआई के खिलाफ शुरू हुई सीबीआई जांच में कुछ फाइलें रोड़ा अटका रही हैं। यानी एलडीए की तरफ से अभी कुछ जरूरी फाइलें नहीं दी गई हैं। इसे बड़ा सवाल उठा कि तो क्या अंसल एवं एलडीए के फंसने वाली फाइलों को अब तक सीबीआई को नहीं दिया गया है। इसकी पोल शासन के एक पत्र से खुली है।
शासन के द्वारा एलडीए उपाध्यक्ष को एक गोपनीय पत्र भेज करके वांछित फाइलों को उपलब्ध कराने एवं शासन को रिपोर्ट भेजने का भी आदेश दिया गया। वैसे तो एलडीए अंसल एपीआई की इंटीग्रेटेड टाउनशिप से संबंधित डीपीआर, लेआउट मानचित्र आदि की फाइलें सीबीआई को दे चुकी है। लेकिन उन फाइलों में शायद सिंचाई विभाग की जमीन संबंधी दस्तावेजों की कमी है, इसीलिए सीबीआई ने शासन से शिकायत की होगी। उधर, एलडीए के एक अधिकारी ने बताया अंसल एपीआई की इंटीग्रेटेड टाउनशिप को अंतिम रूप से शासन की मंजूरी मिली थी। ऐसे में शासन स्तर पर भी अंसल की टाउनशिप के दस्तावेज उपलब्ध हैं।
मानचित्र सेल को शमन के लिए नहीं दे फाइलें
एलडीए में अवैध निर्माण वाली इमारतों का शमन मानचित्र स्वीकृत करने के मामले को लेकर मानचित्र सेल और प्रवर्तन इकाई के बीच टकराव की स्थित उत्पन्न हो गई है। चर्चा है कि शमन मानचित्र के स्वीकृत होने में प्रवर्तन इकाई के अफसर रोड अटकाने के लिए फाइलें नहीं दे रहे हैं।
यह टकराव बड़े अफसरों तक पहुंच गया तो उसे टालने के लिए प्रवर्तन जोन अफसरों को पत्र भी लिख गया है। इस पत्र में अफसर ने उपाध्यक्ष के आदेश का हवाला देकर तत्काल मानचित्र सेल को शमन फाइलों को मुहैया कराने का आदेश भी दिया था, मगर उसका कोई असर नही पड़ा है। मानचित्र सेल एवं प्रवर्तन इकाई के बीच ठनाठनी का आलम यह कि शमन के लिए उन फाइलों को भेजा जा रहा जो हो नहीं सकती हैं।
