Uttarakhand CM Pushkar Singh Dhami said, Uniform Civil Code will soon be implemented in Uttarakhand

लखनऊ में उत्तराखंड महोत्सव में सीएम पुष्कर सिंह धामी
– फोटो : अमर उजाला

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उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखंड में जल्द ही समान नागरिक संहिता का कानून लागू होगा। उत्तराखंड की जनता ने इस पर मुहर लगा दी है। वे मंगलवार को लखनऊ में आयोजित उत्तराखंड महोत्सव के शुभारंभ समारोह में बोल रहे थे। उन्होंने लखनऊ में रहने वाले उत्तराखंड के लोगों को ब्रांड एंबेसडर बताया और कहा कि यह विभिन्न माध्यमों से देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी लोक संस्कृति का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम जल्द ही रेल मंत्री से निवेदन करेंगे कि कोटद्वार, देहरादून और रामनगर के लिए लखनऊ से ट्रेनें चलाई जाएं। 

जड़ें कट जाएं तो खत्म हो जाता है पेड़

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि जड़ें कट जाएं तो पेड़ खत्म हो जाता है। मैं लखनऊ में रहने वाले उत्तराखंड के लोगों से आग्रह करता हूं कि अपने पूर्वजों की धरती पर जरूर आते-जाते रहें। मैं आप सभी को देवभूमि आने का निमंत्रण देता हूं। इससे हमारी युवा पीढ़ी अपनी जड़ों से जुड़ी रहेगी, अपनी संस्कृति को जान सकेगी। अबूधाबी हो या लंदन, कहीं भी चले जाओ, उत्तराखंड के निवासियों ने अपनी संस्कृति को बनाए रखा है।

सामाजिक-राजनीतिक शिक्षा भी लखनऊ में रहकर ही पाई

लखनऊ में एक दिन का समय पता ही नहीं चलता कि कब बीत गया। लखन की इस नगरी में आते ही अनगिनत स्मृतियां ताजा हो जाती हैं और यहां आने से मैं खुद को रोक नहीं पाता। इस दौरान मुख्यमंत्री धामी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ तेजस देखने के अनुभव भी साझा किए। कहा कि दस सालों का शैक्षिक जीवन तो यहां से जुड़ा है, साथ ही सामाजिक और राजनीतिक शिक्षा भी हमें लखनऊ के लोगों के बीच रहकर ही मिली। यहां आकर लगता ही नहीं कि उत्तराखंड से बाहर आया हूं। कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में उत्तराखंड का वैभव बढ़ा है। उनकी उत्तराखंड की यात्रा कोई सामान्य यात्रा नहीं थी। वे ऐसे प्रधानमंत्री हैं जो इतने सीमांत क्षेत्र और ऊंचाई पर स्थित कैलाश तक गए। हम लोग उत्तराखंड यात्रा के नए सरोकार को लेकर आगे बढ़ रहे हैं।

कला-संस्कृति को जीवंत रखते हैं ऐसे आयोजन

मुख्यमंत्री धामी ने उत्तराखंड महापरिषद के इस महोत्सव को आयोजित करने के प्रयासों पर उन्हें बधाई दी। कहा कि ऐसे महोत्सव कलाकारों को तो पहचान देते ही हैं, साथ ही संस्कृति को जीवंत बनाए रखते हैं।



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