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यूपी एटीएस ने बलिया जिले से महिला समेत पांच नक्सलियों को गिरफ्तार किया है। ये सभी मुखौटा संगठनों के माध्यम से गोपनीय रूप से संगठन का विस्तार करने और पूर्वांचल में नक्सली गतिविधियां बढ़ाने के लिए गोपनीय बैठक कर रहे थे। इसकी पुख्ता सूचना मिलने पर एटीएस की टीम ने छापा मारकर बलिया निवासी तारा देवी, लल्लू राम, सत्य प्रकाश, राममूरत और विनोद साहनी को गिरफ्तार कर लिया। इनके पास से नाइन एमएम की पिस्टल, कारतूस, सात मोबाइल, लैपटॉप, प्रतिबंधित संगठन का नक्सली साहित्य, पम्पलेट और दस हजार रुपये बरामद हुए हैं।

स्पेशल डीजी कानून-व्यवस्था एवं अपराध प्रशांत कुमार ने बताया कि सीपीआई (माओवादी) नक्सली संगठन की केंद्रीय कमेटी के प्रमुख नेता संदीप यादव उर्फ रूपेश उर्फ बड़का भैया की मृत्यु के बाद प्रमोद मिश्रा उर्फ बुढऊ उर्फ बन बिहारी उर्फ डाॅक्टर साहब द्वारा पूर्वांचल में एडहॉक कमेटी बनाई गई। संगठन के सचिव बलिया निवासी संतोष वर्मा उर्फ मंतोष के जरिए लगातार संगठन के विस्तार के लिए पूर्वांचल के अलग-अलग जिलों में मूवमेंट करते हुए महिला और पुरुषों की भर्ती की जा रही थी। साथ ही, पूर्वांचल में किसी सरकार विरोधी आंदोलन को चुनकर उसको सशस्त्र आंदोलन में बदलने की साजिश रची जा रही थी। उनके द्वारा कुछ लोगों को जंगल में नक्सली प्रशिक्षण भी दिया जा रहा था। इसकी सूचना मिलने पर एडीजी एटीएस नवीन अरोरा ने वाराणसी यूनिट को सक्रिय किया, जिसने मंगलवार को बलिया के सहतवार थानाक्षेत्र के बसंतपुर गांव के पास दबिश देकर एक झोपड़ी में संगठन की गोपनीय बैठक करते हुए पांचों को गिरफ्तार कर लिया। उनके पास से हस्तलिखित संदेश, इलेक्ट्रानिक डिवाइस भी बरामद हुई हैं।

नक्सली घटनाओं में शामिल रही है तारा

एटीएस की गिरफ्त में आई तारा देवी उर्फ मंजू उर्फ मनीषा वर्ष 2005 से संगठन से जुड़ी है। वह कई नक्सली घटनाओं में शामिल रही है। वह नक्सली गतिविधियों, पार्टी की विचारधारा, आर्थिक सहयोग और नए सक्रिय सदस्यों की भर्ती के लिए नक्सल के एमओ (मास आर्गनाइजेशन) एवं मुखौटा संगठनों के साथियों के साथ मिलकर काम कर रही थी। साथ ही, नए और पुराने भूमिगत सदस्यों के साथ मिलकर नए लोगों की भर्ती कर रही थी। उनका उद्देश्य भारत सरकार के खिलाफ नक्सली विचारधारा के लोगों को जुटाकर सशस्त्र विद्रोह के जरिए सरकारी व्यवस्था को उखाड़ना था। वह नक्सलियों की सरकार स्थापित करने के लिए अपनी पार्टी भाकपा (माओवादी) के लिए चंदा व लेवी वसूलने व हथियार जमा कर रही थी। उसने संगठन की केंद्रीय कमेटी के नेता प्रमोद मिश्रा को बलिया आने पर अपने घर में शरण दी थी।



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