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उप्र खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड में वरिष्ठ प्रबंधक हरिश्चंद्र मिश्रा के खिलाफ विजिलेंस ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है। उन पर कानपुर में तैनात रहने के दौरान फर्जी लाभार्थियों के ऋण आवेदन को बिना सत्यापन बैंक भेजने का आरोप है। इससे बैंक को 38 लाख रुपये के राजस्व की क्षति हुई थी। शासन ने 24 दिसंबर 2020 को हरिश्चंद्र मिश्रा के खिलाफ खुली जांच का आदेश विजिलेंस को दिया था।
विजिलेंस की खुली जांच में लखनऊ के मडियांव निवासी हरिश्चंद्र मिश्रा पर लगे आरोप सही पाए जाने पर शासन ने बीती 27 जनवरी को मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया था। विजिलेंस के कानपुर सेक्टर ने सोमवार को हरिश्चंद्र मिश्रा के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया। इसमें उल्लेख किया गया है कि वर्ष 2011 से 2013 में कानपुर में जिला खादी एवं ग्रामोद्योग अधिकारी के पद पर तैनात रहने के दौरान उन्होंने मुख्यमंत्री रोजगार योजना के अंतर्गत ऋण प्राप्त करने के लिए लाभार्थियों के प्रार्थना पत्र का सत्यापन नहीं किया।
उन्होंने लाभार्थियों से मिलीभगत कर अनुपयुक्त आवेदन पत्रों को भी बैंक भेजा। उल्लेखनीय है कि शासन ने 20 जुलाई 2010 को जारी अधिसूचना में स्पष्ट किया था कि जिला ग्रामोद्योग अधिकारी ऋण आवेदन पत्रों को भलीभांति जांच परख कर ही बैंकों को भेजेंगे। हरिश्चंद्र मिश्रा ने अपने पदीय दायित्वों का निर्वहन न करते हुए अपात्र लाभार्थियों के आवेदन पत्र बैंक भेज दिए। बैंक ने इन आवेदनों को मंजूर करते हुए ऋण स्वीकृत कर दिया। बाद में आवेदकों से ऋण के बकाया 38 लाख रुपये की धनराशि की वापसी बैंक को नहीं हुई।