
सांकेतिक तस्वीर
– फोटो : सोशल मीडिया
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अमेठी में राष्ट्रीय राजमार्ग 56 (लखनऊ-वाराणसी) के निर्माण के लिए किसानों की भूमि को अधिग्रहित करने में अंजाम दिए गये 382 करोड़ रुपये के घोटाले की जांच ईओडब्ल्यू जल्द शुरू कर सकता है। इस प्रकरण में दो पीसीएस अधिकारियों के खिलाफ दर्ज मुकदमे की जांच ईओडब्ल्यू से कराने संबंधी एसपी अमेठी ने संस्तुति की थी। जिसका डीजीपी मुख्यालय ने परीक्षण करने के बाद शासन को भेज दिया है। अब शासन की अनुमति पर ईओडब्ल्यू इस मामले की विवेचना शुरू करेगा।
बता दें कि दोनों पीसीएस अधिकारियों के खिलाफ अमेठी के मुसाफिरखाना थाने में दर्ज एफआईआर के आधार पर ईडी ने मनी लांड्रिंग का केस दर्ज किया है। वहीं बड़े पैमाने पर शासकीय धन की क्षति होने की वजह से पुलिस द्वारा दर्ज मुकदमे की विवेचना ईओडब्ल्यू से कराने की संस्तुति की गयी थी। इसे आईजी रेंज लखनऊ और एडीजी जोन लखनऊ ने भी अपनी संस्तुति के साथ डीजीपी मुख्यालय भेजा था। मुख्यालय में परीक्षण के बाद अब इसे शासन की अनुमति के लिए भेज दिया गया है।
ये था मामला
वर्ष 2014 में एनएच-56 को फोरलेन करने के लिए जिला प्रशासन ने अफसरों ने गलत तरीके से कृषि योग्य भूमि का मुआवजा सर्किल रेट का चार गुना निर्धारित करने के बजाय एनएच से सटी जमीन (इसका सर्किल रेट कई गुना अधिक) के बराबर निर्धारित कर दिया था। डीएम की जांच में घोटाला सामने आने पर तत्कालीन एसडीएम आरडी राम और अशोक कनौजिया के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था। मुआवजा वितरण की कार्यवाही वर्ष 2015 में एसडीएम आरडी राम ने शुरू की थी। तत्पश्चात अशोक कुमार कनौजिया भी मुआवजा बांटते रहे।